निजी शिक्षण संस्थाओं में जाने को छात्र मजबूर

arain-मनोज सारस्वत– अरांई। प्रारम्भिक शिक्षा विभाग द्वारा राजकीय प्राथमिक विद्यालयों को क्रमोन्नत करने के बाद भी ग्रामीण छात्रों को निजी शिक्षण संस्थाओं में भारी आर्थिक नुकसान उठाते हुए शरण लेनी पड रही है। मामला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित सान्दोलिया ग्राम पंचायत का है। जहॉ के मोठी ग्राम में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय को शिक्षा विभाग द्वारा ग्रामीणों की मांग पर २१ जून को ही उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत करने की स्वीकृति जारी कर दी गई। परन्तु प्रधानाध्यापक सहित आला कर्मचारियों को भी विद्यालय के क्रमोन्नत होनें की जानकारी न होनें से पांचवी कक्षा पास करने वाले छात्रों को टीसी कटवाकर अन्य आस पास के गावों में शिक्षा के लिए जाना पड रहा है। क्रमोन्नत विद्यालयों की सूचना विभाग द्वारा भी वेबसाईट पर डालने के बाद भी जिलाशिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर बीईईओं कार्यालय के अधिकारी जानकारी न होनें की बात कर जनप्रतिनिधियों को भी गुमराह कर रहे है। जिसका खामियाजा ग्रामीण परिवेश के छात्रों को भुगतना पड रहा है। माहोल यह है कि ग्रामीण परिजन अपने छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए अन्य स्थानों पर भेजने क ो मजबूर है। राजस्थान सरकार के प्रारम्भिक शिक्षा विभाग द्वारा गत दिनों सर्व शिक्षा अभियान के अन्तगर्त संचालित कुल ५७७ राजकीय प्राथमिक विद्यालयों को आरटीई के मानकों के अनरूप उच्च प्राथमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिनमें अरंाई पंचायत समिति के मोठी, गणेशपुरा, अजगरी, छापरी, बिडला व अजगरा के प्राथमिक विद्यालयों को क्रमोन्नत किया गया था।
इनका कहना :– मुझे मामले की जानकारी नहीं है। उच्च अधिकारियों से जल्द ही जानकारी लेकर प्रक्रिया को गति दी जायेगी।
-बुद्धराज कटारिया, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा, अजमेर

प्रशासनिक शिथिल कार्यप्रणाली का ताजा उदाहरण है। इसी प्रकार सरकारीे कार्यालयों में कई ग्रामीणों के भी कामकाज अटके पडे है। जिनकी कोई सुध लेनें वाला नहीं है।
-भागीरथ चौधरी पूर्व विधायक किशनगढ
विद्यालय के पास बीईईओं कार्यालय द्वारा क्रमोन्नत होनें को लेकर कोई आदेश नहीं आया। आदेश आते ही प्रवेश प्रारम्भ कर लिये जायेगेंं।
-तेजसिंह राठौड प्रधानाध्यापक रा.प्रा.विद्यालय मोठी

पशु चिकित्सक लगाने की मांग
समीपवर्ती ग्राम काशीर में स्थित पशुचिकित्सालय में चिकित्सक का पद चार माह से रिक्त होनें से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। पूर्व पंचायत समिति सदस्य गणेश चौधरी ने बताया कि मौसमी बीमारियों के कारण गांवों में जानवर समय पर ईलाज नहींं मिलने से बीमार होकर मर जाते है। उन्होनें बताया कि पूर्व में भी ग्रामीणों द्वारा पशुचिकित्सालय में चिकित्सक की मांग को लेकर जिला कलक्टर को भी अवगत कराया गया था परन्तु कोई कार्रवाही नहीं हुई।

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