खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभान्वितों की सूचियां जारी

लाभान्वितों की सूचियों का अवलोकन करते जिला कलक्टर श्री वैभव गालरिया।
लाभान्वितों की सूचियों का अवलोकन करते जिला कलक्टर श्री वैभव गालरिया।

अजमेर। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों एवं परिवारों की सूचियां सोमवार को जिले की 276 ग्राम पंचायतों पर चस्पा कर दी गई। जिला कलक्टर सहित अधिकारियों ने पूरे जिले का दौरा एवं आकस्मिक निरीक्षण कर व्यवस्थाएं जांची। अधिकारियों ने नोडल अधिकारियों, सरपंचों एवं ग्राम सेवकों सहित जनप्रतिनिधियों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को योजना का लाभ दिलाने का आग्रह किया।
जिला कलक्टर श्री वैभव गालरिया ने सोमवार को श्रीनगर ग्राम पंचायत का आकस्मिक निरीक्षण किया। उपखण्ड अधिकारी श्री सुरेश सिन्धी, विकास अधिकारी मुरारी लाल शर्मा, सरपंच रामकरण यादव सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित थे। श्री गालरिया ने सूचना पट्ट पर चस्पा सूचियों का अवलोकन कर अधिकारियों से नोडल अधिकारियों की उपस्थिति, कुल लाभार्थियों की संख्या, आपत्ति व दावा प्रपत्रों की उपस्थिति आदि की जानकार ली। श्री गालरिया ने श्रीनगर ग्राम पंचायत की व्यवस्थाओं पर प्रसन्नता जाहिर की। इसके बाद श्री गालरिया ने दादिया ग्राम पंचायत का निरीक्षण कर सूचियां देखी। उन्होंने सरपंच सुगनी देवी एवं ग्राम सचिव जगदीश बैरवा को निर्देश दिए कि सूचियां ऐसे स्थान पर चस्पा की जाएं जहां पर सभी देख सकें।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सी.आर. मीना ने भी जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों का निरीक्षण कर अधिकारियों को योजना का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि योजना के तहत बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय, आस्था, पेंशनर, सरकारी छात्रावास, एकल महिला, महारनरेगा में 100 दिन का काम पूरे करने वाले, पिछड़े समुदाय एवं सीमांत व लघु सीमांत सहित अन्य वर्गाें को लाभ दिया जा रहा है। श्री मीना ने सावर, बघेरा, मेवदाकलां, गिरवरपुरा और कशायता ग्राम पंचायतों का निरीक्षण किया। सभी जगह सूचियां चस्पा पाई गई।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक श्री प्यारे मोहन त्रिपाठी ने श्रीनगर, कानाखेड़ी, तिलाना एवं सनोद का निरीक्षण किया। सभी जगह सूचियां चस्पा हो गई थी। इसी तरह 60 अन्य सेक्टर अधिकारियों ने भी निरीक्षण किया।
राज्य सरकार द्वारा लागू खाद्य सुरक्षा योजना में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के 69.09 प्रतिशत एवं शहरी क्षेत्र की 53 प्रतिशत जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। लाभान्वित परिवारों एवं व्यक्तियों के नाम पर 8 सितम्बर तक ग्राम पंचायत वार्ड स्तर पर नोडल अधिकारी को आपत्तियां प्रस्तुत की जा सकेगी। उक्त आपत्तियों के संदर्भ में ग्राम सभा/स्थानीय निकाय बोर्ड 10 सितम्बर को एक विशेष बैठक का आयोजन करेंगे।
शहरी क्षेत्र में समावेशन (पात्रता) के लिए प्रस्तावित मापदण्ड
बीपीएल सेन्सस-2003 के अनुसार बीपीएल परिवार, स्टेट बीपीएल परिवार, अन्त्योदय परिवार, अन्नपूर्णा योजना के लाभार्थी का परिवार तथा ऐसे परिवार जो उपरोक्त योजनाओं में शामिल नहीं तथा निम्न योजनाओं/वर्गाें में शामिल है, उन्हें भी इस योजना का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा, जिनमें मुख्यमंत्री वृद्घजन सम्मान योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्घावस्था पेेंशन योजना, मुख्यमंत्री एकल नारी योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना, मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन पेंशन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजना, समस्त सरकारी हॉस्टल में अन्त:वासी (समाज कल्याण, जनजाति विभाग, शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक मामलात विभाग एवं सरकारी कॉलेज एवं स्कूलों के हॉस्टल), एकल महिलाएं, मुख्यमंत्री निराश्रित पुनर्वास योजना, सहरिया एवं कथौडी जनजाति परिवार, कानूनी रूप से निर्मुक्त बंधुआ मजदूर परिवार, श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक, पंजीकृत अनाथालय एवं वृद्घाश्रम, कच्ची बस्त में निवास करने वाले सर्वेक्षित परिवार, कचरा बीनने वाले परिवार, घरेलू श्रमिक, गैर सरकारी सफाई कर्मी, स्ट्रीट वेण्डर, उत्तराखण्ड त्रासदी वाले परिवार, साईकिल रिक्शा चालक, पोर्टर (कुली) एवं मुख्यमंत्री जीवन रक्षा कोष में सम्मिलित लाभार्थी जिनमें बीपीएल परिवार, आस्था कार्डधारी परिवार, एचआईवी/एड्स मरीज, वृद्घावस्था/विधवा/ विशेष योग्यजन पेंशनधारी, नवजीवन योजना के लाभार्थी परिवार, अन्त्योदय अन्न योजना, अन्नपूर्णा योजना के लाभार्थी, कथौड़ी जनजाति परिवार, मेहरानगढ़ दुर्ग दुखांतिका, जोधपुर में मारे गये अथवा स्थायी रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के आश्रित माता-पिता सहित परिजन, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित अनाथालय में रहने वाले बच्चे, सरकारी एवं सरकारी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान जहां पर शारीरिक एवं मानसिक रूप से विक्षिप्त अध्यनरत/निवासरत विद्यार्थी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित महिला सदन में रहने वाली महिलायें, प्रदेश के थैलेसीमिया व हिमोफिलिया मेजर के मरीज, प्रदेश के पिछड़े समुदाय यथा भोपा, बागरिया, बंजारा, गाडिया-लोहार, कंजर, सांसी, नट, मेव, मिरासी, जागा, वाल्मिकी-सफाईकर्मी शामिल है।
ग्रामीण क्षेत्र में समावेशन (पात्रता) के लिए प्रस्तावित मापदण्ड
बीपीएल सेन्सस-2003 के अनुसार बीपीएल परिवार, स्टेट बीपीएल परिवार, अन्त्योदय परिवार, अन्नपूर्णा योजना के लाभार्थी का परिवार तथा ऐसे परिवार जो उपरोक्त योजनाओं में शामिल नहीं तथा निम्न योजनाओं/वर्गाें में शामिल है, उन्हें भी इस योजना का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा, जिनमें मुख्यमंत्री वृद्घजन सम्मान योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्घावस्था पेेंशन योजना के लाभार्थी का परिवार, मुख्यमंत्री एकल नारी योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के लाभार्थी का परिवार, मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन पेंशन योजना के लाभार्थी का परिवार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजना, समस्त सरकारी हॉस्टल में अन्त:वासी (समाज कल्याण, जनजाति विभाग, शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक मामलात विभाग एवं सरकारी कॉलेज एवं स्कूलों के हॉस्टल), एकल महिलाएं, महानरेगा योजना में वर्ष 2009-2010 से आदि दिनांक तक किसी भी वर्ष में 100 दिन की मजदूरी करने वाला परिवार, मुख्यमंत्री निराश्रित पुनर्वास परिवार योजना, सहरिया एवं कथौडी जनजाति परिवार, कानूनी रूप से निर्मुक्त बंधुआ मजदूर परिवार, श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक, मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन पेंशन योजना के लाभान्वित परिवार, उत्तराखण्ड त्रासदी वाले परिवार, भूमिहीन कृषक, लघु एवं सीमान्त कृषक, कचरा बीनने वाले परिवार, साईकिल रिक्शा चालक, पोर्टर (कुली) एवं मुख्यमंत्री जीवन रक्षा कोष में सम्मिलित लाभार्थी जिनमें बीपीएल परिवार, आस्था कार्डधारी परिवार, एचआईवी/एड्स मरीज, वृद्घावस्था/विधवा/ विशेष योग्यन पेंशनधारी, नवजीवन योजना के लाभार्थी परिवार, अन्त्योदय अन्न योजना, अन्नपूर्णा योजना के लाभार्थी, कथौड़ी जनजाति परिवार, मेहरानगढ़ दुर्ग दुखांतिका, जोधपुर में मारे गये अथवा स्थायी रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के आश्रित माता-पिता सहित परिजन, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित अनाथालय में रहने वाले बच्चे, सरकारी एवं सरकारी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान जहां पर शारीरिक एवं मानसिक रूप से विक्षिप्त अध्यनरत/निवासरत विद्यार्थी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित महिला सदन में रहने वाली महिलायें, प्रदेश के थैलेसीमिया व हिमोफिलिया मेजर के मरीज, प्रदेश के पिछड़े समुदाय यथा भोपा, बागरिया, बंजारा, गाडिया-लोहार, कंजर, सांसी, नट, मेव, मिरासी, जागा, वाल्मीकि-सफाईकर्मी शामिल है।

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