अखबार के विज्ञापन ने छीनी एक परिवार की खुशियां

folren jobअजमेर। विदेशो में आकर्षक पैकेज पर नौकरी और बेहतर भविष्य की संभावनाए आज के युवाओं की पहली प्राथमिकता बनी हुई है। युवाओं की यही अभिलाषा कुछ लोगो के लिए कमाई का जरिया बन गई है। यह वो लोग है जो अच्छी नौकरी का विज्ञापन समाचार पत्रों में छपवा कर अपना जाल बिछाते है और जब कोई इस जाल में फंसता है तो फिर उसका वहां से बाहर निकलना असंभव हो जाता है। कुछ इसी तरह के झाँसेबाजो के चंगुल में फसां हुआ है अजमेर का जतीन पारवानी जो सुनहरे भविष्य की कामना के साथ अफ्रीका के फ्री टाउन गया लेकिन अब उसके लौटने का इन्तजार उसके परिजन कर रहे है।
अशोक पारवानी ने अपने पुत्र जतिन पारवानी को विगत 15 मार्च 2013 को केनिया एयर लाइन्स से अफ्रीका के फ्री टाउन के लिए रवाना किया था। जतिन को फ्री टाउन की एसवी इलेक्ट्रिकल्स में नौकरी मिलने की खुुशी तो अशोक पारवानी को थी ही, लेकिन इस बात का अंदाजा नहीं था की उस का बेटा जतिन एक ऐसे सफर पर रवाना हो रहा है जो मुसीबतों भरा है। असलियत का खुलासा जतिन के अफ्रीका जाने के लगभग 7 माह बाद उस समय किया जब जतिन अपने नियोक्ता सुरेश वतनामी के चंगुल से कुछ देर के लिए आजाद हुआ। जतिन ने अपनी जो आपबीती अपने पिता को सुनाई वो दिल दहला देने वाली थी। अशोक के अनुसार जतिन को फ्री टाउन में बंधुआ मजदुर की तरह रखा जा रहा है वहां उस के साथ मारपीट की जाती है। हालात इतने बदत्तर है की काम करते समय जतिन की अंगुली कट गई इस बात की जानकारी भी परिवार वालो को नहीं दी गई।
जतिन की माँ आज उस दिन को कोस रही है जब उस ने अपनी दो बेटियों के हाथ पीले करने की मजबूरी के चलते अपने जिगर के टुकडे़े को सात समुन्द्र पार अफ्रीका भेजने का निर्णय लिया। अब वीणा पारवानी का बुरा हाल है। वो अब भगवान् से बस यही दुआ करती है की उस का बेटा सकुशल घर आ जाए। लेकिन अब उस का विशवास भगवान् पर से भी उठने लगा है
एक लाचार पिता और एक बेबस माँ पथराई आँखों से अपने लाल का इन्तजार कर रही है। फिलहाल उन्हें यह इन्तजार अंतहीन नजर आ रहा है। उन्हें सब से बड़ा दुःख इस बात का है की कहने को देश ने विदेशो में अपने नागरिको के हितो की रक्षा के लिए सिस्टम बना रखा है लेकिन उनके इस मामले में वो सिस्टम भी उनकी कोई मदद नहीं कर पा रहा।

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