अजमेर। देशभर में जहां आसाराम के आश्रमों पर सरकार और प्रशासन की पैनी निगाहें टिकी हुई है। वहीं धार्मिक नगरी पुष्कर में अभी भी प्रशासन सोया हुआ है। करीबन 2 दशक पहले पुष्कर में आसाराम ने अपने आश्रम की नीवं रखी और देखते देखते ही पुरे क्षेत्र में करोड़ो की सपंति बना ली। इतना ही नहीं सनातन धर्म और गायों की सेवा का उपदेश देने वाले आसाराम की गउशाला केवल दिखावें के लिये है और गउशाला की आड़ में लाखों रूप्यें दान राशि ईकठ्ठा की जा रही है। चाहें पचकुंड स्थित आश्रम हो, या फिर डुगरियां खुर्द आश्रम, आसाराम की कहानी खुद ब खुद बयंा हो रही हैं। डुगरियां के ग्रामीणो का कहना है कि आसाराम की गउशाला में एक भी गाय को शरण नही दी जाती है। ग्रामीण अपने स्तर पर ही गायों का पालन पोषण कर रहे है। सवाल यह उठता है कि यदि गउशाला सार्वजनिक नही है तो इसकी आड़ में लाखो रूप्यें क्यों लिये जा रहे हैै। ग्रामीणो ने इससे बढ़कर भी आसाराम पर आरोप लगाये है। ग्रामीणो के अनुसार राजस्व रिकोर्ड के अनुसार महज कुछ ही भूमि है जबकि उससे कही ज्यादा भूमि पर आसाराम ने कब्जा कर रखा है। इसमें वह जमीन भी शामिल है जो गौचर और चारागाह भूमि मे आती है। वही दुसरी और आसाराम के साधक अभी भी उन्हें बेकसुर मान रहे है और उनका कहना है कि जल्द ही सच्चाई सबके सामने आयेगी।