कैरिज कारखाने की सड़क हुई बदहाल

sadakअजमेर। रेल कर्मचारी डयूटी जाने के दौरान भुगत रहे हैं नरक की पीडा। जौंसगंज रोड पर दो दो फीट के गडढे दे रहे हैं दुर्घटनाओं को निमंत्रण।
अजमेर में 40 प्रतिशत से अधिक आबादी रेल्वे के जरिये अपनी आजीविका चलाती है। शहर की आर्थिक स्थिति रेल कर्मचारियों पर ही आधारित है। बावजूद इसके हजारों रेलकर्मचारियों को दो पाटों के बीच में पिसने को मजबूर होना पड रहा है। बिहारी गंज नसीराबाद रोड से कैरिज कारखाने की ओर जाने वाले सडक मार्ग का हाल ऐसा है कि ग्रामीण इलाके की सडकें भी शरमा जाए। शहर के बीचों बीच हजारों लोगों को नसीराबाद रोड से ब्यावर रोड पर पहुंचाने वाली इस एक मात्र सडक का कोई धणी धोरी नहीं है। रेल प्रशासन इस सडक को अपनी नहीं बताता वहीं नगर निगम रेलवे की सडक बताकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड रहा है। परेशानी भुगत रहा है तो रेल कर्मचारी और आम आदमी। इसी सडक से भारी वाहनों का आवागमन भी होता है। इसी सडक से रेलवे अस्पताल मरीजों को आना जाना लगा रहता है। लेकिन इस सडक की सुध लेने वाला कोई नहीं। हर बार सडक की मामूली मरम्मत कर इसे आवागमन के लिए खोल दिया जाता है। बारिश के दिनों में तो यहां से निकलना मानो दरिया पार करना है। बारिश के बाद इस सडक मे गहरे गहरे गड्डे हो गए है। जिनमे से दूपहीया और चोपहीया वाहन निकलते वक्त पैदल राहगीरो के लिए कोई जगह नही बचती। यहां से बिना कपडे खराब हुए निकलना मानो किसी प्रतियोगिता का विजेता होना बराबर है। रेल कर्मियों और स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि ठेकेदार और संबंधित विभाग सडक निर्माण में भ्रष्टाचार की रोटियां सेक कर विभाग को चुना लगाता है। अमुमन हर साल इस सडक का हाल यही होता है। कारखानों में काम करने वाले कर्मचारी अपनी नोकरी पर आंच आने का हवाला देकर विरोध भी नही कर सकते।

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