माता-पिता व गुरूजन भगवान समान-स्वामी जगदीशपुरी

14-09-1314-09-13 -2केकडी। शहर के गीता भवन में चल रहे श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन शनिवार को स्वामी जगदीशपुरी महाराज ने ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए आज के युग में भी माता-पिता और गुरूजनों का आदर और सम्मान करने की प्रेरणा दी। उन्होने कहा कि ध्रुव ड्डणा से ध्रुव ने भगवद् भक्ति का मार्ग अपनाया और भगवान के प्रिय भक्त हुए। उन्होने राजा भरत की कथा का वाचन करते हुए आज के समय में सत्य मार्ग पर चलने और लालसा में लिप्त न होने की सीख दी। उन्होंने कहा कि भौतिक साधनों की लालसा ने आज के मानव को भ्रष्टाचार के पथ पर अग्रसर कर दिया है। इससे क्षणिक भौतिक सुख-शांति तो मिलती है लेकिन मनुष्य आत्मशांति से दूर होता जा रहा है। इससे पहले स्वामी जगदीशपुरी महाराज ने राजा परीक्षित और कलयुग का संवाद सुनाया। उन्होंने कहा कि कलयुग में भक्त को वह फल प्राप्त होता है जो कि उसे अन्य युगों में नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि एक बार राजा परीक्षित को साधु ने क्रोध में श्राप दिया था। तब परीक्षित अपने पुत्र को राजपाठ देकर गंगा किनारे शुक्रताल आते हैं और वहां सुखदेव उन्हें दिव्य भागवत कथा का रसपान कराते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा सुनने से तन और मन शुद्ध हो जाते हैं। ये कथा मात्र कथा नहीं है बल्कि यदि व्यक्ति इस कथा को सुन ले तो उसका जीवन सकारात्मक दिशा में अग्रसर होता है । कथा के प्रारम्भ में इस आयोजन में अपनी सेवाये देने वाले सत्यनारायण सोमाणी, मुरलीधर काबरा, दिनेश काबरा, शांति देवी तेली,गणेश भाटी ने महाराज का माल्यार्पण कर आशिर्वाद प्राप्त किया। समिति के सचिव रामदेव जेतवाल ने बताया कि प्रतिदिन सुबह आठ से च्यारह व दोपहर तीन से सांय साढे पांच बजे तक गीता भावन में चल रही इस कथा में श्रोताओ का सैलाब लगातार बढता जा रहा है।
-पीयूष राठी

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