डा. जहरूल हसन शारिब का दो दिवसीय उर्स मुकम्मल

Dr jehrul Ursअजमेर। गंज सिथत उस्मानी चिल्ले पर गुरूवार से गुदड़ीशाह बाबा चतुर्थ डा. जहरूल हसन शारिब का दो दिवसीय उर्स जुम्मे को कुल की रस्म के साथ मुकम्मल हुआ। इस मौके पर देशभर से आए अकीदतमंदो ने धूमधाम से मजार शरीफ पर चादर पेश की। सूफी साहित्यकार डा. शारिब के उर्स के मौके पर इनाम हसन गुदड़ीशाह बाबा पंचम की अगुवार्इ मे अकीदतमंद चादर लेकर चिल्ले पर पंहुचे और मजार शरीफ पर चादर और  अकीदत के फूल पेश कर मन्न्त मांगी। दरगाह की शाही चौकी के कव्वाल असरार हुसेन और उनके हमनवाआें ने सूफियाना कलाम पेश कर रूहानियत का मंजर पैश किया। महफिल की सदारत हजरत इनाम हसन गुदड़ीशाह बाबा पंचम ने की। जुम्मे को सुबह से ही कुल की रस्म में हिस्सा लेने वालो की आमद शुरू हो गर्इ। इस के बाद दोपहर 1 बजे रंग और सलाम पेश किया गया और दो दिवसीय उर्स मुकम्मल हुआ। हलरत इनाम हसन गुदडीशाह बाबा पंचम ने बताया की हजरत डा. जहुरूल हसन शारिब साहिब द्वारा सुफीमत और ख्वाजा साहब की जीवनी पर लिखी गर्इ सैंकडो किताबे पुरे विश्व में पढी जाती है। मोजूदा दौर में भी आपकी किताबो का प्रकाशन हो रहा है और सैंकडो विधार्थी इन पुस्तको पर शोध कर रहे है। आप एक महान लेखक साहित्यकार के साथ महान अधिवक्ता भी रहे आपने इलाहबाद और अजमेर में वकालात भी की।

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