अजमेर। पदमपुराण के अनुसार मर्यादा पर्वत ओर यग्य पर्वत के बीच सतयुग के तीन कुंड है जिन्हें जेष्ठ पुष्कर , मèय पुष्कर ओर कनिष्ठ पुष्कर के नाम से जाना जाता है। मèय पुष्कर के समीप अवियोगा नामक एक चोकोर बावली है जिसके मèय मे जल से युä एक कुंआ है जिसे सौभाग्य कूप कहते है।
यहाँ पर पिंडदान करने से भटकती आत्माओं को मुä मिलती है। क्या यह एक महज अंधविश्वास है या फिर इसके पीछे कोर्इ ठोस आध्यातमिक प्रमाण है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जिस दिन शुक्ल पक्ष में चतुथÊ ओर मंगलवार का संयोग होता है उस दिन इस अवियोगा बावली मे साक्षात गया माता निवास करती है। इस विशेष दिन इस बावड़ी के जल के स्पर्श मात्र से शरीर को आत्माओं के प्रकोप से निजात मिल जाती है। पुराणों के अनुसार जिस व्यä कि निèान आकसिमक हो जाता है वह व्यä किर्इ इच्छाओं को अपने साथ ले जाता है उन्ही अèाूरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए उस व्यä किी आत्मा किसी अन्य व्यä किे शरीर मे प्रवेश कर जाती है ओर उस शरीर को तरह-तरह की यातनाये देने लग जाती है। आम भाषा मे इसे भूत-प्रेत के नाम से जाना जाता है। हालांकि आज के इस वैज्ञानिक युग मे इसे अंèाविÜवास के अलावा ओर कुछ नहीं माना जा सकता लेकिन कर्इ बार वैज्ञानिक शोèा मे भी यह सच्चार्इ सामने आर्इ है। वही सृषिट रचियता जगतपिता ब्रह्राा के पदमपुराण के प्रष्ठ संख्या 104 मे लिखी सच्चार्इ इस बात को ओर मजबूती प्रदान करती है इसमें उल्लेख किया गया है की जब भगवान राम ने मèय पुष्कर मे स्नान किया तो उसी रात उन्हें सपने मे अपने पिता दशरथ परिवार के साथ बैठे दिखार्इ दिए भगवान राम ने जब इस रहस्य का कारण विद्धवान ऋषि-मुनियों से पूछा तो उन्होंने बताया की आपके पिता की आत्मा कर्इ इच्छाओं को अपने साथ ले गर्इ थी इसी लिए उनकी आत्मा को अभी तक मोक्ष नहीं मिला वह आत्मा अपनी मोक्ष प्रापित के लिए पिंडदान चाह रही हे। ऋषियों ने अवियोगा बावली के महत्व को स्पस्ट करते हुए भगवान राम से इस बावली में अपने पिता दशरथ के पिंड दान करने को कहा भगवान राम ने भी ऋषियों के बताये गए मार्गदर्शन के अनुसार इस बावली में अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया। ऐसा करने से राजा दशरथ की आत्मा को शांति मिली।
तभी से इस पावन बावली पर लोगो का विÜवास बढ़ गया। हजारो वर्षो से श्रृद्धालुओ की आस्था का सेलाब अपनी पीड़ाओ की मुä किे लिए इस बावली पर उमड़ पड़ता है। कोर्इ विÜवास करे या ना करे लेकिन चौथ मंगलवार के दिन इस बावली पर जो æश्य दिखार्इ देते हे वो सभी को हैरत में ड़ाल देते है। पीडि़त शरीर की तड़प पंडितो के आव्हान पर अपनी असलियत कबुलती आत्माये तथा आत्माओ द्वारा अपनी मुä किे लिए बताया गया मार्ग ऐसे कडवे सच है। जो आज के इस भोतिक युग में भी भुत प्रेत तथा आत्माओ की उपसिथत्ति का अहसास दिलाते है। इस दिन दूर दराज से हजारों लोग यहाँ पर आकर इस बावड़ी के चमत्कारिक जल से अपनी पीड़ाओ से मुä हो पाते है।
