पुष्कर सरोवर में दो छात्रो की डूबने से हुई दर्दनाक मौत

pushkar duba02अजमेर। दीपावली से पहले ही पालिका प्रशासन की लापवाही के चलते दो घरो के दीपक बुझ गये। पुष्कर सरोवर में हुई इस हृदयविदारक घटना ने साथी छात्रों, स्कूल स्टाफ सहित स्थानीय लोगो को झकझोर कर रख दिया। साथी छात्रों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे तो शिक्षको को यह समझ नही आ रहा था की बच्चो के परिजनों को क्या जवाब देंगे। रविवार को अपने पांच दिवसीय शैक्षिणक भ्रमण के अन्तिम पडाव में सुबोध सीनियर पब्लिक स्कूल खाटूश्याम जी का 48 सदसीय दल पुष्कर पहुंचा। छात्रों ने सरोवर में स्नान करने के लिए डूबकी लगाईं लेकिन उन्हें गहराई का पता ही नही था। 12वीं कक्षा के छात्र राजेश कासरा और सुरेश कटारिया पानी की गहराई में जाते रहे लेकिन उनको मदद के लिए पुकार करने का मौका तक नही मिला। जिन जिम्मेदार शिक्षकों के भरोसे माँ बाप ने अपने लाडलो को भेजा था उनकी गैरजिम्मेदारी के चलते दो मासूमो ने जिन्दगी को अलविदा कह दिया।

pushkar duba01सरोवर के मुख्य घाटो पर ना तो गहराई की सूचना के बोर्ड लगे हुए है और ना ही लाल झंडे लगे हुए है। इतना ही नही किनारे पर रस्सी की भी कोई व्यवस्था नही है जिससे की डूबने वाला अपने आप को बचा सके। इससे भी बडी लापरवाही पालिका प्रशासन की रही जिसको उपखंड अधिकारी राष्ट्रदीप यादव ने भी महसूस किया। उन्होंने फोन पर ही अधिशासी अधीकारी सीता वर्मा को लताडते हुए कहा की सुरक्षा के मामले में ढीलाई नही बरती नही जानी चाहियें।
पुष्कर पालिका प्रसाशन की संवैदनहीनता का सबसे बड़ा उदाहरण उस समय देखने को मिला जब डूबने के बाद बचाने वाला केाई गोताखोर नही था। सहायता के अभाव में दोनो स्कूली छात्र दूनिया से रूखसत हो गए। अब बारी थी शवो को तलाशने की इस पर भी पालिका प्रशासन खरा नही उतरा। आखिरकार हमेशा की तरह स्थानिय लोगो ने ही तलाश शुरू की लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद दोनो शवो को बाहर निकाला गया। हरबार की तरह इस बार भी पुष्कर के विनोद पराशर, राहुल पाराशर, मुकेश पाराशर, राजू राठी, किशन गोपाल पाराशर, टिंकू पाराशर और बाबू पाराशर ने शवो को बाहर निकालकर मानवता का परिचय दिया।
पालिका प्रशासन की लापरवाही पर स्थानिय लोगो का भी गुस्सा फुटा और उपखंड अधिकारी राष्ट्रदीप यादव का घेराव कर उनसे शिध्र व्यवस्था सुधारने की मांग की। गौताखोरो ने भी स्पष्ट किया की वे अपनी जान जोखिम में डालकर लोगो को बचाते है लेकिन प्रशासन की ओर से उन्हे किसी तरह का प्रोत्साहन नही मिलता। अब जब एक बार फिर अंतराष्ट्रीय कार्तिक मेला आने वाला है तो श्रृद्धालुओ की सुरक्षा को लेकर लोगो में आशंका बनी हुई है। देखना होगा की आखिरकार पालिका प्रशासन की नींद कब खुलती है।

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