पुष्कर के पर्यटन व्यवसाय में रिकॉर्ड गिरावट

paryatan01अजमेर। देश का पर्यटन व्यवसाय लड़खड़ा रहा है। महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की आवक में रिर्कोड़ गिरावट देखी जा रही है। रूपया डाॅलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है। पर्यटको से जुडे व्यापार धंधे बंद होने के कगार पर है। इन परिस्थितयों के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है। स्वामी न्यूज ने पर्यटको की हृदय स्थली पुष्कर में इस बात का पता लगाने की कोशिश की, कि आखिर लम्बे समय तक पुष्कर में बार बार आने वाले पर्यटको का अब मौह भंग क्यो होने लगा है।
केशरीया बालम पधारो म्हारे देश की राजस्थानी मनुहार से आकृषित होने वाले विदेशी सेलानीयों की संख्या में पिछले 5 सालों में ऐतिहासिक गिरावट आई है। यदि गुप्तचर विभाग के आंकडो पर गौर किया जाए तो सितम्बर माह तक इस साल पिछले साल के मुकाबले लगभग 15 हजार पर्यटक कम आए है। वेसे तो यह गिरावट पूरे देश में ही देखी जा रही है लेकिन पुष्कर पर इसका खासा असर देखा जा रहा है। अब जब एक बार फिर अन्र्तराष्ट्रीय कार्तिक मेला दस्तक दे रहा है तो पर्यटन व्यवसाय से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुडे लोगो को चिन्ता सताने लगी है। होटलो में बुकिंगे रदद् हो रही है। कपडा व्यवसाय लगभग पुरी तरह चरमरा चुका है। देश को पर्यटन व्यवसाय से होने वाली आय लगातार गिर रही है। देश की अर्थव्यवस्था का प्रर्याय रूपया डाॅलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है।
paryatan03अवसाद से गुजर रहे पर्यटन व्यवसाय को फिलहाल कोई राहत की सम्भावना नही है। स्वामी न्यूज ने जब स्थानिय व्यापरियों और विदेशी पर्यटकों से बात की तो इस बात का पता चला की पुष्कर और देश से सैलानियो का ध्यान दूसरी जगह क्यों जा रहा है। मोटे तौर पर विश्वव्यापी आर्थिक मंदी को कम हेाते पर्यटन व्यवसाय के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। लेकिन केवल एक ही कारण नही है इसके अलावा भी ऐसे कई कारण है जिनका पता लगा कर माधान आवश्यकता है।
विदेशी पर्यटको ने भी माना की मंदी के कारण लोगो के पास खाने को पैसा नही है तो घूमने के लिए कहां से आएगा। साथ ही उन्होने वीजा नियमों और अप्रर्याप्त सुरक्षा को भी इसके लिए जिम्मेदार माना है। अमेरिका के एक विदेशी पर्यटक ने बताया की सरकार को वीजा नियमो में छुट देकर पर्यटको को भारत के प्रति आकृषित करना चाहिए। महिला सैलानियो ने देश की राजधानी में बलात्कार सहित अन्य घटनाओ को इसके लिए जिम्मेदार बताया। गौरतलब है कि भारत आने वाले पर्यटको में 65 प्रतिशत महिलाए होती है जो अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित है।
paryatan02जब इस बारे में स्थानिय निवासीयो से बात की गई तेा और भी कई कारण उभर कर सामने आए। होटल संचालको का मानना है कि पर्यटन विभाग की उदासिनता के चलते ही पर्यटक कम आ रहे है। साथ ही कसबे में ऐसे कोई आयोजन नहीं होते है जिनसे पर्यटक आकृषित हो सके। राजस्थान की लोक कला और संस्कृति से परिचित कराने के लिए भी कोई व्यवस्था नही है। इतना ही नही सरकार ने पर्यटन व्यवसाय के प्रचार प्रसार के लिए भी आवश्यक कदम नही उठाए है। किसी समय पर्यटको को आकृषित करने के लिए शुरू किया गया सेंडूयून पोंइट अपना अस्तित्व खो चुका है। कस्बे की बिगड़ती सफाई व्यवस्था, सडके और मुलभूत सुविधाओ के अभाव ने भी कही न कही पर्यटको को पुष्कर आने से रोका है।
कई विदेशी सेलानीयों का यह भी मानना है कि अब पुष्कर बदल चुका है। कभी यहां आध्यात्म की हवा बहती थी और चप्पे चप्पे पर मानसिक शान्ति मिलती थी। लेकिन अब यहां के लोग पैसे के पीछे भाग रहे है। जिससे पर्यटक अपने आप को पराया महसूस कर रहा है। दूसरी तरफ पुष्कर में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल है जिनके विकास के लिए प्रयास नही किए जा रहे है।
आने वाले कार्तिक मेले को लेकर होटल, कपडा, कैमल सफारी, रेस्टोरेंट सहित सभी व्यापारी आशंकित और चिन्तीत है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में पुष्कर के लोगो केा रोजगार के नए अवसर तलाशने होगें। वहीं आशा और अपेक्षा करनी चाहिए की सरकार जनभागीदारी के साथ इस तबाह होते इस पर्यटन व्यवसाय को संभालने और सवांरने की कोशिश करेगी। नही ंतो वह दिन दुर नही जब पुष्कर पिछले 20 साल वाली स्थिति में वापस चला जाएगा।

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