माहे मोर्हरम में ताजिये बनाने का काम जारी

tajiyeअजमेर। चांद की 11 तारीख से मोर्हरम की तैयारीयां शुरू कर दी गई। ख्वाजा गरीब नवाज के दरगाह में तकरीबन तीन सदीयों पुरानी ताजियों के तामिर की इस रिवायत को अंजाम देने वाले खलील अहमद उर्फ चांद बाबू के मुताबिक ताजिया शरीफ आज भी उसी शक्ल में है। जिसे उनके अजदाद ने शुरू किया था। अजमेर का यह ताजिया हिन्दुस्तान में अपनी नौयित्त का है। इसे दरगाह शरीफ का बडा ताजिया कहा जाता है। जो तीन मंजिलों मे तकरीबन 16 फिट बुलंद होता है। इसे बनाने मे बांस, गोल्डन और सिल्वर पैपर, सफेद पैपर, अभ्रक का इस्तमाल किया जाता है। ताजिया शरीफ को बनाने का काम 11 तारीख को बाद नमाजे असर शरबत पर फातहा दिला कर शुरू किया जाता है। 29 तारीख को मकबरा दरगाह में रखा जाता है तमाम ताजिये अन्जुमन सैयद जादगान की जानिब से बनाए जाते है। इसका सरफा भी वही देते है पूरा तैयार होने के बाद ताजियो को 8 तारीख को मैनगेट पर रख दिया जाता है।
खादीम एसएफ हसन चिश्ती ने बताया की मोर्हरम अदब और एहतराम से मनाते है हजरत इमाम हुसैन अलेह सलाम और उनके 72 साथी जिन्होने भूखे प्यासे करबला में शहादत पाई थी कि याद में मोर्हरम मनाया जाता है। 10 दिनो तक आहताए नूर दरगाह मे वाक्या बयान, शोदाये करबला, मर्शिया ख्वानी, छतरी गेट पर होती है। माहे मोर्हरम में गम का त्यौहार है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नही होते।

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