कनिका व मुकेश ने नया कीर्तिमान स्थापित किया

कनिका जैन
कनिका जैन

बांदरसिंदरी। किसी भी विश्वविद्यालय के लिए बड़े गौरव और हर्ष की बात होती है कि उसके विद्यार्थी नित नई ऊंचाईयों को छुएं और दूसरों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय की कैमिस्ट्री विभाग की पूर्व विद्यार्थी कनिका जैन व एम.एस.सी. टैक मैथमैटिक्स के मुकेश कुमार नागर ने एश्योर्ड ऑर्पाच्युनिटी फॉर रिसर्च कैरियर्स के तहत इन्सपॉयर फैलोशिप के लिए चयनित होकर विश्वविद्यालय के लिए नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कनिका जैन का अनुसंधान प्रस्ताव ‘‘सौर ऊर्जा संचयन’’ पर आधारित है जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने शिक्षक डॉ. रघु चित्ता के मार्गदर्शन में किए एम.एस.सी. प्रोजेक्ट के दौरान मिली। वहीं मुकेश कुमार नागर का अनुसंधान प्रस्ताव ‘‘द नम्बर ऑफ प्राइम पॉलिनोमिअल्स ओवर फाइनाइट फील्ड्स‘‘ पर आधारित है।

 मुकेश कुमार नागर
मुकेश कुमार नागर

इन्सपॉयर (इन्नोवेशन इन साइन्स परस्यूट फॉर इन्सपायर्ड रिसर्च) एक परिवर्तनात्मक योजना है जो विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करने हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित और संचालित की जाती है। इस वर्ष फैलोशिप के लिए देश भर के लगभग 928 चयनित विद्यार्थियों में से करीब 18 विद्यार्थी राजस्थान के विभिन्न विश्वविद्यालयों के हैं जिनमें से इतने अल्पसमय में राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दो विद्यार्थियों ने बाज़ी मारी।
इन्सपॉयर का मूल उद्देश्य विज्ञान की रचनात्मक की खोज के प्रति कम उम्र में विज्ञान के अध्ययन के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करना एवं उत्तेजना बढ़ाने हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित यह एक अभिनव कार्यक्रम है।
यह फैलोशिप केवल उन विद्यार्थियों को दी जाती है जिन्होंने बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान, चिकित्सा या कृषि आदि में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की हो तथा बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान संबंधित पाठ्यक्रम में स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया हो अथवा जिन विद्यार्थियों ने एमएससी अथवा एमएससी/एमएस में 65 प्रतिशत अंक अर्जित किए हों। हर वर्ष यह फैलोशिप विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 1000 चयनित विद्यार्थियों को दी जाती है जिनमें इस वर्ष यह गौरव विश्वविद्यालय के दो विद्यार्थियों को प्राप्त हुआ है।
विद्यार्थियों को फैलोशिप के रूप में 5 वर्ष तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा नेट/जेआरएफ समानान्तर अनुदान प्राप्त होगा साथ ही अनुसंधान के लिए भी अलग से अनुदान दिया जाएगा जिसमें विद्यार्थियों के लिए विदेश जाकर अपना शोध जारी रखने का प्रावधान भी होगा। फैलोशिप प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/देश में संस्थान में पीएचडी कार्यक्रम के लिए एक वर्ष के भीतर प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करना अनिवार्य होगा।
.अनुराधा मित्तल
जनसम्पर्क अधिकारी

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