अजमेर। दीपोत्सव पर यु तो भगवान् श्री राम और धन की देवी लक्ष्मी की अराधना की प्राचीन परम्परा रही है लेकिन अजमेर में आनासागर के निकट पहाड़ी पर बना यह खोबरानाथ भेरव का यह मंदिर हर साल दीपावली के दिन श्रृद्धालुओ से भर जाता है आम दिनों में सुने पड़े रहने वाले इस मंदिर में सब से ज्यादा भीड़ उन युवाओं की होती है जिनकी शादी में अडचने आ रही है। मान्यता है की इस मराठा कालीन मंदिर में विराजमान भेरव देव कुंवारों की शादी की तमन्ना को पूरा करते है। कायस्थ समाज के इस मंदिर में यह परम्परा कब से शुरू हुई किसी को पता नहीं लेकिन आस्था शादी की कामना करने वाले युवाओं और उन के परिजनों को हर साल यहाँ खींच लाती है। यहाँ आने वाले युवाओं के दिल में अपने भावी जीवन साथी को ले कर जो भी सपने है वो शादी देव के सामने मन्नत के रूप में रखते है और कामना करते है की उनकी यह मन्नत पूरी हो।
शादी देव खोबरानाथ के इस दर पर देश भर के कायस्थ समाज को पूरी आस्था है युवाओं के लिए यह स्थान अपनी शादी की मन्नत के लिए महत्व रखता है तो उनके परिजनों के लिए यह मौका होता है अपने कुटुंबजनों और समाज बंधुओ से मुलाक़ात का। इस मंदिर की व्यवस्थाओं का जिम्मा समाज की और से गठित कमिटी के कंधो पर है जो समाज के सहयोग से इसे पूरा करती है शादीदेव के इस मंदिर में वे दम्पत्ति भी इस दिन अपनी मन्नत उतरने आते है जिनकी शादी खोबरा नाथ भेरव की कृपा से हुई है ..यही कारण है की यहाँ आज के दिन भक्तो का मेला सा लगा रहता है।
जानकारी के अनुसार इस मंदिर की स्थापना उस समय की गई थी जब अजमेर पर मराठो का राज था। कायस्थ समाज के बुजुर्गाे के अनुसार यहाँ कभी एक सेन्य चैकी हुआ करती थी जिस की जिम्मेदारी दो मराठा सरदारों की थी ..उन्ही मराठा सरदारों ने इस मंदिर की स्थापना की ..बाद में इस मंदिर की व्यवस्थाये कायस्थ समाज ने संभाल ली ..तब से हर साल इसी तरह यहाँ दीपावली के अवसर पर मेला जुटता है और शादिदेव की कृपा बटोरने के लिए कायस्थ समाज के युवा मन्नतो की झोली फैला कर आते है।
