अजमेर। सन् 1435 हिजरी के पहले जुमे के रोज तीन मोहर्रम को मशहुर सुफी दरवेश हजरत ख्वाजा मोईनुदिन हसन चिश्ती के मजार पर बडी तादात में जायरीन का सेलाब उमडा। मुबारक मोहर्रम माह में इबादत की बडी फजीलते है इन्ही जज्बो के बीच जुमे के रोज बडी तादात में जायरीन और मुसलमानेा ने नमाजे जुमा अदा की। नमाजीयो की सबसे बडी तादात दरगाह शरीफ की शाहजहानी मस्जिद में नजर आई। यहां पर जुमे से काफी पहले ही जायरीन ने सफे बनाना शुरू कर दिया। अजान से काफी पहले दरगाह शरीफ का कोना कोना नमाजियो से आबाद हो गया और देखते ही देखते नमाजियो की सफें दरगाह शरीफ को पार करते हुए खादिम मोहल्ला और दरगाह बाजार में आगे तक चली गई। पूरा दरगाह ईलाका नमाजियो से आबाद रहा। एसी ही नुरानी फिजाओं के बीच बडी तादात में जायरीनों ने जुमे की नमाज अदा की।
इन्तेजामीया ने नमाजीयों की हिफाजत और सहुलियत के लिए पुरे बन्दोबस्त किये। जिला कलेक्टर वैभव गालरिया ने नमाज के लिए जोनल मजिस्ट्रेट मुकर्रर किये थे। जिन्होंने बखुबी अपने फर्ज को अंजाम दिया। दस्तुर के मुताबिक नमाज के वक्त 4 तोपें चलाई गई। पहली तोप पर सुन्नतें अदा की गई। दुसरी तोप पर खुतबे के वक्त चली जमाअत खडी होने के वक्त तीसरी तोप चलाई गई। नमाज खत्म होने का ऐलान चोथी तोप से किया गया। दरगाह शरीफ की शाहजनी मस्जिद में नमाज शहर काजी जनाब मौलाना तौसिफ अहमद सिद्दीकी साहब ने अदा कराई। बाद नमाज मुल्क में अमनों अमान को सलामती की दुआएं की गई। दरगाह शरीफ के अलावा ढाईदिन के झोपडे में भी हजारो लोगो ने नमाजे जुमा अदा की। ढाईदिन का झोपडा नमाजियो से पूरी तरह भर गया। यहा पर सफे सडक पर देखी गई।
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