शेयर बाजार नियामक सेबी ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज [एनएसई] के सूचकांक निफ्टी में हुए ‘फ्लैश क्रैश’ की जांच शुरू कर दी है। शुक्रवार सुबह निफ्टी में अचानक 900 अंक की तेज गिरावट आई। इसके बाद शेयर बाजार में 15 मिनट के लिए कारोबार रोक देना पड़ा। वैसे, गड़बड़ी को दूर करने के बाद एक्सचेंज में कारोबार सामान्य हो गया। इस दौरान बंबई शेयर बाजार [बीएसई] में कारोबार सामान्य बना रहा।
एनएसई ने कारोबार में हुई इस गड़बड़ी के लिए ब्रोकिंग फर्म एमके ग्लोबल को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही दावा किया है कि उसके सिस्टम में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं थी। एक्सचेंज का कहना है कि ब्रोकिंग फर्म ने काफी निचले दाम पर कई सारे सौदे एक साथ दर्ज किए। इसके चलते सिस्टम क्रैश हो गया और सूचकांक भरभरा कर नीचे आ गिरा।
भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड [सेबी] ने इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करने का फैसला किया है। जांच के दौरान सभी संभावित वजहों को ध्यान में रखा जाएगा। एनएसई के मुताबिक एमके ग्लोबल ने करीब 650 करोड़ रुपये के सौदे एक साथ दर्ज कर दिए थे। बाद में इन सभी सौदों को रदकर एक्सचेंज के कारोबार से निकाल दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए एक्सचेंज में पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं या नहीं, सेबी इसकी जांच भी करेगा। सूचकांक में भयानक उठापटक से कई बड़ी कंपनियों और बैंकों के शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव आया। चूंकि बड़ी कंपनियों के शेयर कारोबार में सर्किट फिल्टर की व्यवस्था नहीं होती, लिहाजा इनके दामों में तेज गिरावट को रोकना असंभव हो जाता है। इसके बावजूद बाजार को अचानक भरभराने से रोकने के कई उपाय होते हैं। सेबी पिछले कुछ दिनों से बड़ी कंपनियों के शेयरों में होने वाले तेज उतार-चढ़ाव को लेकर पहले ही चिंतित है। हाल में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में भी इसी तरह का वाकया हुआ था।
सेबी इस जांच में एल्गोरिदमिक ट्रेड से जुड़े मुद्दों को भी ध्यान में रखेगी। यह कारोबार का अत्याधुनिक सिस्टम है। इसमें सौदों को पूरा करने की प्रक्रिया इतनी तेजी से खत्म होती है, जिससे कीमत में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव का भी फायदा मिल सके। इस व्यवस्था की पहले भी कई मौकों पर आलोचना हो चुकी है। आरोप हैं कि इस सिस्टम के जरिये कुछ लोग बाजार की धारणा तक को बदल सकते हैं।
यह पूरा मामला ऐसे दिन हुआ, जब बीते दिन हुए सरकारी फैसलों के बाद तेजी की संभावना व्यक्त की जा रही थी। सुबह बाजार तेज खुला भी। लेकिन 900 अंक की तेज गिरावट के बाद एनएसई में सुबह 9 बजकर 50 मिनट पर कारोबार रोक देना पड़ा। बाद में कारोबार शुरू हुआ और निफ्टी हल्के नुकसान के साथ बंद हुआ।
क्या है फ्लैश क्रैश
गुरुवार 6 मई, 2010 को अमेरिकी शेयर बाजारों में दोपहर पौने तीन बजे तेज गिरावट आई। देखते ही देखते डाउ जोंस सूचकांक 1000 अंक [करीब नौ प्रतिशत] नीचे आ गया। लेकिन कुछ ही मिनटों में सूचकांक इस नुकसान की भरपाई करने में सफल रहा और वापस 1000 अंक ऊपर चला गया। एक ही दिन में 1000 अंक से ज्यादा के अचानक उठापटक वाली इस घटना को ‘फ्लैश क्रैश’ का नाम दिया गया था। इसके लिए भी एल्गोरिदमिक ट्रेड को दोषी माना गया था।