अब 12 सिलेंडर देने की तैयारी

सब्सिडी में कटौती को लेकर केंद्र सरकार की तैयारी पर अब राजनीतिक नफा-नुकसान का गणित हावी होता दिखाई दे रहा है। सरकार हर परिवार को साल में छह सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर देने के फैसले को बदलने के मूड में है। अब सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की सीमा बढ़ाकर साल में 12 की जा सकती है। माना जा रहा है कि दिसंबर में होने जा रहे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधान सभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार में इस बारे में सैद्धांतिक सहमति बन गई है। गणित कोई भी हो, इसका लाभ आम लोगों को मिलना तय है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कृषि मंत्री शरद पवार ने सब्सिडी वाले सिलेंडरों में कोटा सिस्टम लागू करने के मुद्दे को उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी माने जाने वाले रक्षा मंत्री एके एंटनी और विमानन मंत्री अजित सिंह समेत कुछ अन्य मंत्रियों ने भी पवार का समर्थन किया। शरद और अजित द्वारा इस मामले को उठाने के बाद सरकार ने भी अपनी ओर से कदम आगे बढ़ाने का मन पक्का कर लिया।

सोनिया की ओर से भी इस बारे में हरी झंडी मिल चुकी है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम से इस बारे में कांग्रेस प्रमुख ने स्वयं बात की है। कांग्रेस में सब्सिडी वाले वाले सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने की दबी जुबान से पहले ही चर्चा हो रही थी। चूंकि सरकार की पूर्व सहयोगी ममता बनर्जी ने इसका खुलकर विरोध शुरू कर दिया था, इसलिए सरकार इसका श्रेय उन्हें कतई नहीं देना चाहती थी। सरकार दिखाना चाहती थी कि सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने का निर्णय वह किसी के दबाव में नहीं ले रही। संभव है जल्द ही सरकार इस आशय की घोषणा भी कर दे।

इस बारे में तैयारी करने की जिम्मेदारी पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी पर डाल दी गई है। कोटा सिस्टम अभी तैयार नहीं हो पाया है। अभी यह तय किया जाना है कि कोटे वाले सब्सिडी के छह सिलेंडर किसे दिए जाने हैं और कैसे इसे लागू किया जाएगा। अमल की इन्हीं दिक्कतों के बहाने सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने का लोकलुभावन कदम उठाया जाएगा।

पिछले महीने सरकार ने साल में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या छह तक सीमित रखने का फैसला किया था। इससे अधिक इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को बाकी रसोई गैस सिलेंडर बाजार मूल्य पर दिए जाने थे। फिलहाल बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत तकरीबन 900 रुपये बैठती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 23 फीसद परिवार ही साल में 12 या इससे ज्यादा सिलेंडर इस्तेमाल करते हैं। जाहिर है कि अगर सरकार सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने का फैसला लेती है तो इन्हीं ग्राहकों को फायदा होगा। अलबत्ता इससे सरकारी तेल कंपनियों को जरूर निराशा होगी, जो सब्सिडी में कमी की बदौलत छह महीने में 8,000 करोड़ रुपये की बचत की उम्मीद लगा बैठी थीं।

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