सुप्रीम कोर्ट से रद 2जी लाइसेंस की फिर से नीलामी करने के लिए सरकार एक के बाद एक अहम फैसले कर रही है। मगर इसका आम लोगों को प्रभावित करने वाली कॉल दरों पर क्या असर पड़ेगा, इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दूरसंचार क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि मौजूदा टेलीकॉम कंपनियों से एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क वसूलने और 900 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की रीफार्मिग से कॉल दरों में 68 पैसे प्रति मिनट तक का इजाफा हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, अगले हफ्ते कैबिनेट आगामी 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी से संबंधित हर मुद्दे पर फैसला करेगी। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल 6.2 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा स्पेक्ट्रम रखने वाली मौजूदा कंपनियों से एकमुश्त स्पेक्ट्रम फीस लेने और दो तरह के स्पेक्ट्रम को आपस में मिलाकर [रीफार्मिग] उनकी फिर से नीलामी कराने के सुझाव को हरी झंडी दिखा देगा। इसके अलावा कैबिनेट को दूरसंचार कंपनियों के बीच स्पेक्ट्रम को ठेके पर लेने-देने के मुद्दे पर भी फैसला करना है। अभी तक सरकार के भीतर इन तीनों मुद्दों को लेकर जो सहमति बनी है, उससे उद्योग जगत खासा नाराज है।
एक प्रमुख दूरसंचार कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रीफार्मिग और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के बदले एकमुश्त फीस लेने का अंतिम फैसला होता है तो देश की मोबाइल कंपनियों पर लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके साथ ही कंपनियों ने 900 मेगाहर्ट्ज के लिए ढांचा तैयार करने पर जो हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं, उसकी भी भरपाई करनी पड़ेगी। जाहिर है कि टेलीकॉम कंपनियां इस अतिरिक्त बोझ को अंतत: उपभोक्ताओं पर ही डालेंगी। जीएसएम आधारित मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों के संगठन सीओएआइ का कहना है कि इससे कॉल दरों में 68 पैसे प्रति मिनट तक की अधिकतम वृद्धि संभव है। कुछ कंपनियों पर यह बोझ न्यूनतम 27 पैसे प्रति मिनट का होगा। वहीं, अधिकांश मोबाइल ऑपरेटरों को कॉल दरों में 50 पैसे प्रति मिनट से ज्यादा की बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है।
दूरसंचार मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद किए गए 2जी लाइसेंस की नीलामी शुरू होने से पहले टेलीकॉम क्षेत्र से संबंधित सभी लंबित मुद्दों पर कैबिनेट की मंजूरी लेना चाहता है। इससे कंपनियां भारत में अपनी आगे की रणनीति बना सकेंगी। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय की तरफ से काफी विस्तृत नोट तैयार किया जा रहा है। इसमें स्पेक्ट्रम को ठेके पर देने के मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने का मसला भी कैबिनेट को सौंपा गया है।