आखिरी वक्त पर घरेलू संस्थागत निवेशकों की मदद से सरकार हिंदुस्तान कॉपर के विनिवेश में अपनी साख बचाते हुए तय सीमा से ज्यादा शेयर बेचने में कामयाब रही। सरकार को चार के मुकाबले नीलामी में 5.58 प्रतिशत शेयरों के लिए बोली मिली। इससे कंपनी को करीब 800 करोड़ रुपये मिलेंगे। बोली में इस कंपनी के शेयर की कीमत 157 रुपये तय हुई है, जबकि सरकार ने 155 रुपये प्रति शेयर के भाव का प्रस्ताव किया था। चालू वित्त वर्ष 2012-13 में पहली बार किसी सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) को विनिवेश के लिए बाजार में उतारा गया था।
बाजार की अनिश्चितता को देखते हुए फिलहाल सरकार ने हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) के सिर्फ चार प्रतिशत शेयर बिक्री के लिए पेश किए थे। विनिवेश के लिए नीलामी की प्रक्रिया को चुना गया था। शुक्रवार सुबह बोली लगने के बाद निवेशकों का रुझान एचसीएल को लेकर सुस्त रहा। कंपनी के शेयरों में बोली लगाने को निवेशक बाजार में नहीं थे। इससे चिंतित सरकार सक्रिय हुई। वित्त मंत्रालय ने घरेलू संस्थागत निवेशकों को नीलामी में हिस्सा लेने का इशारा किया। एलआइसी, भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े संस्थागत निवेशकों को नीलामी में उतरने के संदेश भेजे गए। सरकार के संदेशों का ही संभवत असर था कि नीलामी प्रक्रिया खत्म होने के आखिरी 2-3 घटों में सरकार को कंपनी के शेयरों के लिए ताबड़तोड़ बोलिया प्राप्त हुईं।
सरकार ने हिंदुस्तान कॉपर के कुल 3,70,08,720 शेयर नीलामी के लिए बाजार में उतारे थे। इसके मुकाबले 5,17,14,580 शेयरों के लिए बोलिया मिली हैं। इस विनिवेश से सरकार को करीब 800 करोड़ रुपये मिलेंगे। सरकार ने एचसीएल के शेयर के लिए 155 रुपये का भाव तय किया था। वहीं, स्टाक एक्सचेंजों में शुक्रवार को कंपनी का शेयर 20 फीसद लुढ़ककर 213.05 रुपये पर बंद हुआ। सरकार को एचसीएल की शेयर कीमत बाजार से करीब 40 प्रतिशत कम तय करने का फायदा भी मिला। हिंदुस्तान कॉपर में सरकार ने 9.59 प्रतिशत शेयरों के विनिवेश को मंजूरी दी थी। इसमें कंपनी ने 25 प्रतिशत संस्थागत निवेशकों और म्यूचुअल फंडों के लिए सुरक्षित रखे थे, मगर बाजार की स्थिति को देखते हुए सिर्फ चार प्रतिशत शेयरों की बिक्री से ही शुरुआत की गई है। अगर निवेशकों का रेस्पांस अच्छा रहता है तो बचे हुए हिस्से को भी बाजार में बेचने के लिए उतारा जा सकता है।