बैंक बदलेंगे तो भी रहेगा वही अकाउंट नंबर

ग्राहकों के हाथों में सीधे नकद सब्सिडी देने की योजना पर अमल के साथ ही केंद्र सरकार जल्द से जल्द बैंक खाता नंबर पोर्टेबिलिटी [एएनपी] भी लागू करने जा रही है। नकदी सब्सिडी ट्रांसफर योजना को एक पखवाड़े मंजूरी देने के बाद वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक [आरबीआइ] के साथ भारतीय बैंक संघ यानी आइबीए को इस बारे में आवश्यक निर्देश दे दिए हैं। वित्त मंत्रालय का कहना है कि नकद सब्सिडी ट्रांसफर योजना पूरे देश में प्रभावी होने से पहले एएनपी लागू हो जानी चाहिए।

वैसे, केंद्रीय बैंक ने हाल ही में इस योजना का रोडमैप बनाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने आरबीआइ और आइबीए को कहा है कि वे एएनपी यानी अकाउंट नंबर पोर्टेबिलिटी को लेकर अभी से तैयारियां शुरू कर दें। इसके लिए समिति की सिफारिशों का इंतजार नहीं किया जाए। वित्त मंत्रालय की तरफ से यह सुझाव दिया गया है कि पहले चरण में आधार कार्ड के जरिये जिन ग्राहकों का बैंक खाता खोला जा रहा है उनके लिए एएनपी की सुविधा शुरू की जा सकती है। रिजर्व बैंक की तरफ से सरकार को यह आश्वासन दिया गया है कि इस बारे में आवश्यक ढांचा समय रहते तैयार हो जाएगा।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नकदी ट्रांसफर योजना को बैंक खाता पोर्टेबिलिटी से काफी सहूलियत मिलेगी। सब्सिडी पाने वाला अगर एक जगह छोड़ कर दूसरे स्थान पर जाता है, तब भी उसका बैंक खाता नंबर नहीं बदलेगा। ऐसे में सब्सिडी ट्रांसफर का काम बगैर किसी रुकावट के चलता रहेगा। ग्राहक अपनी सुविधा के मुताबिक बैंक का चयन कर सकता है। खाता नंबर पहले से होने की वजह से कोई भी बैंक बगैर पहचान सत्यापन प्रक्रिया के भी जल्दी से ग्राहक का अकाउंट खोल सकेगा।

बचत खाता नंबर की पोर्टेबिलिटी होने के बाद बैंकों के बीच प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी। वे ग्राहक खोने के डर से सेवा की गुणवत्ता बेहतर करेंगे। इसका असर बैंक सेवा शुल्कों पर भी पड़ सकता है। ग्राहकों को लुभाने के लिए बैंकों की ओर से आकर्षक ब्याज दरों का प्रलोभन भी दिया जा सकता है। इससे ग्राहकों को ही फायदा होगा। फिलहाल मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी और हेल्थ बीमा नंबर पोर्टेबिलिटी की शुरुआत देश में हो चुकी है।

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