प्राइम टाइम में उड़ानों के स्लॉट की होगी नीलामी

सबसे ज्यादा कमाई वाले समय में उड़ानें संचालित करने के लिए अब एयरलाइनों को नीलामी में हिस्सा लेकर स्लॉट हासिल करने पड़ेंगे। विमानन मंत्रालय परीक्षण के तौर पर इस नीलामी की तैयारी कर रहा है। मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक यात्रियों की सबसे ज्यादा आवाजाही वाले समय में आवंटित किए गए ऐसे स्लॉट जिनका एयरलाइनें उपयोग नहीं कर रही हैं, उन्हें नीलाम किया जाएगा। एयरलाइनों की ओर से प्राइम टाइम स्लॉट के आवंटन में भेदभाव की शिकायतों के चलते मंत्रालय ने इनकी नीलामी शुरू करने का फैसला लिया है।

निर्धारित समय पर विमान के आगमन या प्रस्थान के लिए हवाई अड्डे पर जरूरी सभी इंफ्रास्ट्रक्चर के इस्तेमाल की मंजूरी को एयरपोर्ट स्लॉट कहा जाता है। अभी वैश्विक एयरलाइंस संगठन इंटरनेशनल ट्रैवल एसोसिएशन यानी आइएटीए के व‌र्ल्ड स्लॉट दिशानिर्देशों के हिसाब से एयरलाइनें डीजीसीए [विमानन महानिदेशालय] को अपना उड़ान शेड्यूल सौंपती हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे व्यस्त हवाई अड्डों पर एयरलाइनों में प्राइम टाइम के स्लॉट हासिल करने की होड़ रहती है। शिकायतें दूर करने के लिए अब तक डीजीसीए और एयरपोर्ट संचालकों द्वारा किए जा रहे स्लॉट आवंटन के काम को एक नए कम्प्यूटराइज सिस्टम के जरिये किया जा सकता है।

विमानन नियामक डीजीसीए ने पाया है कि कुछ एयरलाइनें न तो अपने स्लॉट का इस्तेमाल कर रही हैं और न ही उन्हें सरेंडर करने की इच्छुक हैं। ऐसे में नियामक को इन स्लॉट का इस्तेमाल करने के लिए कार्रवाई करनी पड़ सकती है। नीलामी का उद्देश्य राजस्व हासिल करना नहीं है, बल्कि हवाई अड्डों की आधारभूत संरचनाओं की भरपूर क्षमता का इस्तेमाल करना है। इसके अलावा इससे पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। उद्योग के जानकारों का कहना है कि अमेरिका में भी इस तरह की नीलामी का तंत्र शुरू किया गया था। इसके खिलाफ एयरलाइनें अदालत चली गईं। न्यायालय के आदेश पर इस नीलामी को बंद कर दिया गया।

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