ईरान से रिश्तों के चलते अमेरिका के सबसे बड़े पेंशन फंड ने भारतीय तेल कंपनियों के शेयरों में निवेश बंद कर दिया है। उसने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां ईरान से कारोबार में कटौती करने में नाकाम रही हैं। दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा फंड कैलिफोर्निया पब्लिक एम्प्लाइज रिटायरमंट सिस्टम (कैलपर्स) फिलहाल विश्वभर में 240 अरब डॉलर के निवेश का प्रबंधन कर रही है।
कैलपर्स ने जिन भारतीय तेल कंपनियों में निवेश बंद किया है उनमें तेल उत्खनन कंपनी ऑयल इंडिया और देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस आयातक कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी शामिल है। पेट्रोनेट से तो यह पूरी तरह बाहर निकल चुकी है और भविष्य में भी इसमें निवेश न करने की बात कही है। कैलपर्स का कहना है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ की पाबंदी के बावजूद कंपनी ईरान से गैस आयात में कटौती करने में नाकाम रही है। इसी तरह ऑयल इंडिया के शेयरों में भी निवेश नहीं करने का फैसला किया है। देश की सबसे बड़ी तेल व गैस उत्खनन कंपनी ओएनजीसी भी इस अमेरिकी फंड के निशाने पर है। ईरान से ओएनजीसी के संभावित समझौतों पर उसकी नजर है। हालांकि, इन दोनों सरकारी तेल कंपनियों में कैलपर्स का फिलहाल कोई निवेश नहीं है।
अमेरिकी फंड ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि ईरान से संबंधित कारोबार के बारे में इस तरह के फैसले किए गए हैं। हालांकि, इसने तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम में निवेश जारी रखने का फैसला किया है। कैलपर्स ने भारत पट्रोलियम में 46 लाख डॉलर का निवेश कर रखा है। उसका कहना है कि इस भारतीय कंपनी का कारोबार ईरान पर लगे प्रतिबंधों से जुड़ा नहीं है। पिछले हफ्ते ही भारत और ईरान ने सुरक्षा और कारोबार से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने का फैसला किया है।
कैलपर्स 16 लाख अमेरिकियों को रिटायरमेंट और स्वास्थ्य संबंधी सेवा लाभ मुहैया कराती है। इसे हर साल रक्षा, परमाणु ऊर्जा, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में किए गए निवेश का ब्योरा सरकार को देना होता है। भारत में इसका ज्यादातर निवेश बड़ी और मझोली कंपनियों में है। इनमें बैंक, तेल, एफएमसीजी, फार्मा और इंजीनियरिंग शेयर शामिल हैं।