धीरे-धीरे बढ़ाने होंगे ईधन के दाम

पेट्रोल डीजल समेत ईधनों के दाम दाम धीरे-धीरे बढ़ाने होंगे। इनकी कीमतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने के सिवा कोई रास्ता नहीं है। तभी ईधन उत्पादों पर दी जा रही भारी सब्सिडी से छुटकारा पाया जा सकेगा। इसके लिए यह सब्सिडी बोझ घटाना अर्थव्यवस्था की तेज और टिकाऊ विकास दर के लिए जरूरी है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह कहते हुए ईधनों के दाम बढ़ाने की वकालत की। वह सोमवार को यहां कोच्चि रिफाइनरी की विस्तार परियोजना की आधारशिला रख रहे थे। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन यानी बीपीसीएल की इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस दौरान प्रधानमंत्री ने साफ कहा, हमारे देश में ईधन कीमतों को दबाकर रखा गया है। कोयला, पेट्रोलियम उत्पाद और प्राकृतिक गैस के मूल्य अंतरराष्ट्रीय कीमतों से काफी नीचे हैं। अगर हमें तेज, समावेशी और टिकाऊ विकास लक्ष्य को हासिल करना है तो चरणबद्ध ढंग से ईधन कीमतों को बढ़ाकर अंतररारष्ट्रीय स्तर पर लाना होगा।

इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ईधन उत्पादों पर दी जा रही सब्सिडी में कटौती की जरूरत के प्रति आम लोगों में जागरूकता फैलानी होगी। तेज विकास दर के लिए ईंधन की सही कीमतों पर पर्याप्त आपूर्ति भी जरूरी है। प्रधानमंत्री के मुताबिक, देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है। इसे कम करने के लिए घरेलू स्तर पर तेल व गैस की खोज और उत्पादन पर बड़े पैमाने पर निवेश आवश्यक है।

इसके अलावा ऊर्जा सुरक्षा के लिए विदेश में भी इसके स्त्रोतों का अधिग्रहण करना होगा। सरकार कंपनियों की ओर से तेल व गैस के घरेलू अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, सरकारी कंपनियां विदेश में भी इस क्षेत्र में मौके तलाश रही हैं। बीपीसीएल ने मोजाम्बिक और ब्राजील में तेल की खोज व उत्पादन में खासी सफलता हासिल की है। जहां तक तेल की रिफाइनिंग का सवाल है, देश ने इसकी अतिरिक्त क्षमता हासिल कर ली है। फिलहाल रिफानिंग क्षमता 21.5 करोड़ टन सालाना की है। खपत से अधिक क्षमता के चलते बीते साल करीब छह करोड़ टन तेल का निर्यात भी किया गया।

इसके एवज में देश ने 2,85,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की थी। कोच्चि रिफाइनरी की विस्तार परियोजना के पूरे होने के बाद देश में केरोसिन, एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति काफी बढ़ जाएगी। कोच्चि रिफाईनरी नींव 1966 में रखी गई थी

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