योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने डीजल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने की दलील को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कीमतों पर मामूली प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उपभोक्ताओं के पास अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए कम पैसा बचेगा।
उन्होंने कहा, निश्चित रूप से डीजल की कीमत बढ़ेगी, लेकिन अन्य वस्तुओं की महंगाई कम होने जा रही है। ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ने की बात मेरे विचार से गलत है। अहलूवालिया ने तेल विपणन कंपनियों को हर महीने डीजल के दाम में 45 से 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाने के सरकार के फैसले पर संतुष्टि जताई। इससे तेल विपणन कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन बेचने से जो नुकसान हो रहा था, उसमें कमी आएगी और वे 18 महीने में डीजल बाजार भाव पर बेचने लगेंगी।
उन्होंने कहा, मूल रूप से कंपनियों को डीजल के मामले में 9 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है और अगर हम इसे 50 पैसे प्रति महीने समायोजित करते हैं, उन्हें डीजल बाजार भाव पर बेचने में 18 महीने का समय लगेगा। इससे डीजल पर घाटा 18 महीने में समाप्त हो जाएगा। योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि सरकार सब्सिडी कम करने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखा रही है और मुद्रास्फीति में जो कमी आई है, रिजर्व बैंक इस महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में इसे ध्यान में रखेगा।