आसान नहीं होगा दोहरे घाटे से निपटना

rdsubbarao 2013-2-12वित्तमंत्री पी चिदंबरम पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि आगामी बजट में वह सबसे ज्यादा वरीयता राजकोषीय घाटे और चालू खाते में घाटे की दोहरी मार की काट खोजने को देंगे। यह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिहाज से ही नहीं, बल्कि दुनिया की नजर में भारत की साख बचाने के लिए भी जरूरी है। यही वजह है कि सोमवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने भी बगैर लाग लपेट के इन पर काबू पाने का दो टूक सुझाव सरकार को दे डाला।

जानकारों का कहना है कि घाटे पर नियंत्रण करने का सरकार का कोई भी कदम सीधे तौर पर आम जनता के लिए कष्टप्रद साबित हो सकता है। क्योंकि इसके लिए सरकार अपने खर्चे व सब्सिडी घटाएगी और प्रमुख योजनाओं के आवंटन में कमी करेगी। पिछले दो-तीन महीनों के दौरान डीजल कीमत में बढ़ोतरी, सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति में कटौती जैसे कदम राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए ही उठाए गए हैं। इसका बोझ आम आदमी पर ही पड़ा है।

सबसे पहले बात राजकोषीय घाटे की। वित्त वर्ष 2011-12 में केंद्र ने इसके 4.1 फीसद रखने का लक्ष्य रखा था, लेकिन असल में यह 5.9 फीसद रहा। पूर्व वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 में इसके 5.3 फीसद करने का लक्ष्य रखा। चिदंबरम अभी तक यह भरोसा लगाए हुए हैं कि इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार अपनी स्कीमों में आवंटन से कम राशि खर्च करके, पेट्रोलियम सब्सिडी में खासी कमी करके और विनिवेश कार्यक्रम के जरिये भी इस लक्ष्य के नजदीक नहीं पहुंच पाएगी।

राजकोषीय घाटे के लिए आगामी बजट 2013-14 इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि इसमें वित्तमंत्री को अगले चार वित्त वर्ष का एजेंडा पेश करना है। सरकार को वर्ष 2016-17 तक राजकोषीय घाटे को तीन फीसद पर लाना है। न सिर्फ अर्थशास्त्री और विदेशी निवेशक, बल्कि विदेशी रेटिंग एजेंसियों की नजर भी वित्तमंत्री के उन कदमों पर होगी, जिनके जरिये वे हर वर्ष राजकोषीय घाटे में 0.6 फीसद कटौती करेंगे। ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां- स्टेंडर्ड एंड पुअर्स’ और मूडीज की भारतीय अर्थंव्यवस्था की रेटिंग रिपोर्ट जून-जुलाई, 2013 में आने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि रेटिंग तय करने में वित्तमंत्री की तरफ से इस बारे में बजट में किए जाने वाले उपाय काफी अहम भूमिका निभाएंगे।

राजकोषीय घाटे के साथ ही वित्तमंत्री को चालू खाते में घाटे की स्थिति से निपटना है। माना जाता है कि इसके लिए केंद्रीय बैंक ने पिछले हफ्ते जो नुस्खे बताए हैं उन पर अमल होने की घोषणा की जाएगी। वैसे सोने का आयात को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय ने हाल ही में कदम उठाए हैं। बजट में इस बारे में कुछ और एहतियाती कदम उठाए जाने की संभावना है।

-आगामी आम बजट-

-वित्तमंत्री को पेश करना है अगले चार वर्षो में घाटा नियंत्रण का एजेंडा

-इन चार वर्षो के दौरान तीन फीसद पर लाना है राजकोषीय घाटा

-विदेशी निवेशकों के साथ ही रेटिंग एजेंसियों की भी होगी नजर

Comments are closed.

error: Content is protected !!