मॉस्को। मुद्राओं की कीमतें घटाने की होड़ से पैदा हो रही आर्थिक संघर्ष की आशंका को टालने पर जी-20 देशों में सहमति बन गई है। यहां शनिवार को समाप्त वित्त मंत्रियों की बैठक में इन देशों ने ऐसे किसी टकराव में नहीं पड़ने का संकल्प जताया है। साथ ही ये देश कॉरपोरेट टैक्स चोरी के मामलों से निपटने के लिए भी एकजुट हुए हैं। जी-20 विकसित और भारत जैसे प्रमुख उभरते देशों का संगठन है।
वित्त मंत्रियों ने संकल्प जताया कि होड़ में आगे निकलने के लिए किसी तरह से विनिमय दरों में एकतरफा बदलाव और मुद्रा की कीमत कम करने जैसे विकल्प नहीं अपनाएंगे। चीन के बाद अब जापान पर अपनी मुद्रा की कीमत कम रखने के आरोप लगे हैं।
जापान में नए प्रधानमंत्री शिंजो एबी पर आरोप है कि वह मांग बढ़ाने के लिए बाजार में ज्यादा नकदी उड़ेल रहे हैं और येन की कीमत को कम रखने पर जोर दे रहे हैं।
बैठक के बाद जी-20 देशों के संयुक्त बयान में कहा गया, ‘हम मुद्रा की कीमत को कम रखने के किसी भी कदम से बचेंगे। साथ ही हम प्रतिस्पर्धा के लिए विनिमय दरों का सहारा नहीं लेंगे। विनिमय दरें बाजार के जरिये निर्धारित होनी चाहिए, न कि सरकारों के हस्तक्षेप से।’ इससे पहले ब्रिटिश वित्त मंत्री जॉर्ज ऑस्बोर्न ने खतरे की चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर तमाम देश इसी तरह मुद्राओं की कीमतों में कमी का सहारा लेते रहे तो दुनिया में आर्थिक जंग छिड़ सकती है। मुद्राओं को आर्थिक युद्ध का हथियार बनाने की गलती नहीं की जानी चाहिए। यूरोपीय देशों में पिछले कुछ समय से यह डर बढ़ रहा था कि जापान समेत कई देश अपनी मुद्राओं का अवमूल्यन कर रहे हैं। इससे यूरोपीय देशों के निर्यात पर बुरा असर पड़ने और वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ने की आशंका जताई गई।
बयान में कॉरपोरेट टैक्स चोरी के मामलों से निपटने के लिए अमीर देशों के संगठन ओईसीडी के सहयोग से विभिन्न सरकारों के बीच समन्वय की बात कही गई है। कर चोरी और लाभ शिफ्ट करने के तरीकों से निपटने के उपाय विकसित कर सामूहिक प्रयास करने होंगे। मुनाफा शिफ्ट करने की प्रक्रिया के तहत कंपनियां अपने मूल देश के बजाय कम कर वाले मुल्क में लाभ दिखाती हैं।ै