नई दिल्ली। वित्त वर्ष के आखिर में आयात की धीमी रफ्तार ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें कुछ हद तक कम कर दी हैं। फरवरी, 2013 में आयात मात्र 2.65 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसकी तेज बढ़त रुकने से कम हुए व्यापार घाटे ने सरकार को चालू खाते के घाटे के मोर्चे पर भी राहत दी है। सरकार को उम्मीद है कि आगे भी विदेश व्यापार में यह रुख बना रहेगा।
विदेश व्यापार के ताजा आंकड़ों ने सरकार की मुश्किल को कुछ आसान किया है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के दूसरे ही महीने से निर्यात में गिरावट का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह जनवरी में मामूली वृद्धि से टूटा था। अब फरवरी के आंकड़ों ने इस रुख को और आगे बढ़ाया है। फरवरी में देश से 26.26 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। यह पिछले साल के समान महीने में हुए 25.19 अरब डॉलर के निर्यात से 4.25 प्रतिशत अधिक है।
वाणिज्य सचिव एसआर राव ने निर्यात के ताजा आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यूरोपीय बाजार में मांग बढ़ने से ऐसा हुआ है। इस साल फरवरी में 41.18 अरब डॉलर का आयात हुआ। पिछले साल की समान अवधि में 40.11 अरब डॉलर का आयात हुआ था। इस तरह इसमें केवल 2.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयात में कमी से फरवरी में व्यापार घाटा (निर्यात और आयात का अंतर) भी कम हुआ है।
इस महीने देश का व्यापार घाटा 14.92 अरब डॉलर का रहा। वैसे, अप्रैल-फरवरी 2013 का कुल व्यापार घाटा 182 अरब डॉलर को पार कर गया है। पिछले पूरे वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 180 अरब डॉलर रहा था। वाणिज्य मंत्रालय का मानना है कि विदेश व्यापार के रुख में आए इस बदलाव ने भविष्य को लेकर कुछ उम्मीद जताई है। राव ने कहा कि सरकार निर्यातक समुदाय के साथ बातचीत कर रही है। इस रुख को बनाए रखने के लिए जो संभव होगा निर्यातकों को दिया जाएगा। अगले महीने आने वाली विदेश व्यापार नीति में इस संबंध में कुछ घोषणाएं की जा सकती हैं।