नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बुधवार को जर्मनी की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं। इस दौरान वह द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दोनों देश की सरकारों के बीच विचार-विमर्श में शामिल होंगे। साथ ही, शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिक और नवीनीकृत ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में समझौता करेंगे।
चांसलर एंजेला मर्केल के निमंत्रण पर जर्मनी के दौरे पर रवाना हुए प्रधानमंत्री उनके साथ दोनों सरकारों के बीच होने वाली दूसरी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक की शुरुआत 2011 में सहयोग के हर संभावित क्षेत्र पर बातचीत के लिए की गई थी।
इससे पूर्व मनमोहन ने कहा कि वह यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ व्यापार संतुलन व निवेश के मुद्दे पर जल्द राय कायम करने के लिए जर्मनी से सहयोग हासिल करने का प्रयास करेंगे। मैं चांसलर एंजेला मर्केल से भारत-ईयू के बीच व्यापार और निवेश क्षेत्र में व्यापक समझौते पर जल्द राय कायम करने की दिशा में सहयोग हासिल करने की कोशिश करूंगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह यूरोप से भारतीय निवेशकों व पेशेवर लोगों के लिए दरवाजे खुले रखने का भी प्रस्ताव रखेंगे। सरकार की कोशिश है विकास दर आठ फीसदी पहुंचाने की।
प्रधानमंत्री जर्मनी में जर्मन चांसलर से आर्थिक मुद्दों के साथ विश्वव्यापी आर्थिक कठिनाइयों पर चर्चा करेंगे। गौरतलब है विश्व की आर्थिक व्यवस्था में जर्मनी का महत्वपूर्ण रोल है, इस वजह से मनमोहन सिंह की जर्मनी यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की आर्थिक दशा को सुधरने के लिए जर्मनी भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है, ये देश की विकास दर को देखकर आने वाले सालों में पता लग जाएगा। यूरोप में जर्मनी भारत का महत्वपूर्ण साझीदार है।
ट्रेड, इकोनामी, इन्वेस्टमेंट और टेक्नोलाजी में भारत व जर्मनी एक दूसरे के मजबूत साझीदार हैं, जिसकी वजह से भारत और जर्मनी को अगर मजबूत ग्लोबल पार्टनर कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
प्रधानमंत्री के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी जा रहा है, जो भारत और जर्मनी के द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत होगी।