नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में भारी गिरावट के बीच स्टॉकिस्टों ने सोने और चांदी में जमकर बिकवाली की। इसके चलते स्थानीय सराफा बाजार में दोनों कीमती धातुओं में सोमवार को लगातार दूसरे सत्र में गिरावट जारी रही। इस दिन पीली धातु 750 रुपये और लुढ़ककर 15 माह के निचले स्तर 27 हजार 600 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गई। शनिवार को इस धातु में 1250 रुपये की रिकॉर्ड गिरावट आई थी।
इसी तरह चांदी 2100 रुपये का गोता लगाकर 48 हजार रुपये प्रति किलो बंद हुई। बीते सत्र में यह 2500 रुपये लुढ़की थी। चांदी सिक्का 3000 रुपये की हानि के साथ 77000-78000 रुपये प्रति सैकड़ा हो गया। दोनों धातुओं के दाम इतने नीचे आने के बावजूद ग्राहक और गिरावट की आस में खरीदारी से परहेज कर रहे हैं।
कुछ देशों के केंद्रीय बैंकों की ओर से सोना बेचे जाने की अटकलों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके भाव भरभरा गए। लंदन में पीली धातु 90.70 डॉलर की गिरावट के साथ 1386.30 डॉलर प्रति औंस तक जा पहुंची। सिंगापुर में यह 1427 डॉलर प्रति औंस तक लुढ़कने के बाद 1441 डॉलर के आसपास बंद हुई। इसका असर घरेलू सराफा बाजार पर भी पड़ा, जहां नवरात्र के त्योहारी माहौल में भी मांग नहीं निकल रही है।
स्थानीय बाजार में सोना आभूषण के भाव भी 750 रुपये की चपत खाकर 27 हजार 400 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गए। आठ ग्राम वाली गिन्नी 100 रुपये फिसलकर 24 हजार 700 रुपये हो गई। इसी तरह चांदी साप्ताहिक डिलीवरी 2880 रुपये गंवाकर 45 हजार 900 रुपये प्रति किलो बोली गई।
सोने की घटती कीमतों से सरकार को दोहरी खुशी
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चालू खाते में घाटे के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से परेशान केंद्र सरकार को अब जाकर कुछ अच्छी खबर मिलने लगी है। सस्ते क्रूड से सरकार पहले ही खुश थी, लेकिन अब सोने का आयात भी कम होने लगा है। जनवरी से मार्च, 2012 के दौरान इसके आयात में 24 फीसद की भारी गिरावट आई है। अप्रैल के महीने में भी इस रफ्तार के बने रहने की संभावना है। ग्लोबल बाजार में सोने की लगातार घट रही कीमतों से सरकार के लिए चालू खाते के घाटे [सीएडी] पर नियंत्रण और आसान हो जाएगा।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक रिजर्व बैंक के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि सोने के आयात पर सीमा शुल्क की दर बढ़ाने का सकारात्मक असर हुआ है। जनवरी से मार्च की तिमाही में सोने के आयात में करीब एक चौथाई कमी आई है। लेकिन दोहरी खुशी की बात यह है कि ग्लोबल बाजार में सोने की कीमत भी तेजी से गिर रही है। पिछले एक हफ्ते से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पीली धातु के दाम 25 फीसद तक लुढ़क चुके हैं। अमेरिका में मंदी के दूर होने की आशंका मजबूत होने से ग्लोबल बाजार में सोमवार को सोना करीब पांच फीसद घटकर बंद हुआ है। इससे सरकार के लिए चालू खाते में घाटे को काबू में करना आसान हो जाएगा। चालू वित्त वर्ष 2013-14 में सीएडी के 4.8 फीसद रहने का लक्ष्य रखा गया है।
उक्त अधिकारियों का कहना है कि अगर विदेशी बाजारों में सोने की कीमत मौजूदा स्तर पर रह जाए और आयात में खास वृद्धि न हो तो देश के कुल चालू खाते में घाटे में 15 फीसद तक कमी हो सकती है। यह सरकार की संभावना से भी ज्यादा है, क्योंकि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को सोने की कीमत में इतनी बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं थी। पिछले दो वर्षो के दौरान भारत के सीएडी की स्थिति बिगड़ने के लिए सोने के आयात की भूमिका अहम थी। वर्ष 2011-12 में सोने के आयात में 45 और 2010-11 में 36 फीसद की वृद्धि हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत में तेजी के बावजूद अप्रैल से दिसंबर, 2012 में भारत ने 39 अरब डॉलर के सोने का आयात किया। इससे चालू खाता का संतुलन गड़बड़ हो गया।
वायदा बाजार में भी भारी गिरावट
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अगर वायदा बाजार से कुछ संकेत निकालने की कोशिश की जाए तो आने व आने वाले दिनों में भी सोने की कीमतों को लेकर अनिश्चितता बने रहने के आसार हैं। वायदा बाजार में सोमवार को सोना छह फीसद की गिरावट के साथ 26, 250 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर आ गया। वायदा बाजार में सोने का यह स्तर इसके पहले सितंबर, 2011 में दर्ज किया गया था।
देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में जून, 2013 के लिए सोने के वायदे कारोबार की कीमत 825 रुपये कम होकर 27,493 रुपये, अगस्त, 2013 के लिए कीमत 1250 रुपये घटकर 28,350 रुपये बोली गई। माना जा रहा है कि सामान्य बाजार में सोने की कीमत में कमी को देखते हुए वायदा कारोबारियों ने बिक्री तेज कर दी है।