पटना। सोने की कीमतें गिरने से खरीदारी बढ़ी लेकिन गोल्ड लोन का कारोबार मंदा हो चला। कल तक जो बैंक या नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां लोगों को गोल्ड लोन के लिए न्योता देती थीं आज टहलाने लगीं हैं। सोना के गोता लगाते ही टीवी के पर्दे से गोल्ड लोन के विज्ञापन तक गायब हो गए हैं। कंपनियां पुराने लोन को ले मार्जिन मनी बढ़ाने का प्रेशर बना रही हैं।
चक्कर दर चक्कर पर रिजल्ट जीरो
दोपहर की चिलचिलाती धूप में रमेश मल्होत्रा आंखों में गोल्ड लोन के सपने लिए कई बैंकों के चक्कर लगा आए लेकिन सभी ने उन्हें टहला दिया। रमेश मल्होत्रा अकेले नहीं उनके जैसे कई और हैं। राज एक राष्ट्रीयकृत बैंक पहुंचे थे। वहां उनका स्वागत हुआ। जब बात गोल्ड लोन की उठी तो टका सा जवाब मिला, हमारे पास गोल्ड टेस्टर नहीं है। हमने हेडक्वार्टर को लिखा है। टेस्टर मिलने पर ही हम यह सुविधा ग्राहकों को दे सकेंगे। वहां से दूसरे बैंक पहुंचे। यहां बताया गया कि गोल्ड लोन देने की पहली शर्त है हमारी शाखा में आपका एकाउंट होना चाहिए। एकाउंट है तो आप गोल्ड लेकर आएंगे।
गोल्ड लोन वालों को नोटिस
गोल्ड लोन देने वाले कई बैंक अपने ग्राहकों को नोटिस भेज रहे हैं। नोटिस में स्पष्ट है सोने का भाव गिर गया है। आप या तो गिरावट से पैदा हुए अंतर के बराबर मार्जिन मनी दें या उतने मूल्य का सोना। टर्म एंड कंडीशन का हवाला दे लोन लेने वालों पर दबाव बनाया जा रहा है।
गोल्ड लोन में बैंकों का दबदबा
गोल्ड लोन में 72 फीसद हिस्सेदारी बैंकों की है तो बाकी नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की। इन्हें अब यह भय यह सता रहा है कि अगर तीन महीने के लिए भी सोने की कीमतें इसी तरह निचले स्तर पर रहीं तो कई मामलों में ऋण व ब्याज मिलाकर कुल राशि जमा सोने की कीमत से अधिक हो जायेगी। ऐसे में अगर लोन लेने वाले ने पैसा नहीं चुकाया तो ऋण देने वाले बैंकों व नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को तगड़ा झटका लगेगा।
पास है सोना फिर भी रोना
क्या है रिजर्व बैंक का निर्देश
बैंक या नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां आरबीआइ के निर्देशानुसार आपके सोने की कीमत का 60 फीसद ही लोन की सीमा तय करती हैं। इस रकम का 70 से 90 फीसद पैसा लोन के रूप में दिया जा रहा है। इसके बाद औसतन 14.5 से 16.5 फीसद वार्षिक दर पर ब्याज अलग से वसूला जाता है। लोन की रकम अधिक है तो ब्याज कम लिया जाता है। जबकि कम रकम पर अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है।