“जिँदगी आज/ मौत की गोद में/ आबाद हुई”

1- सँगम खोखला जिस्म, खोखली साँसें रुक रुककर, चलने की चाह में जिँदा कदम लड़खड़ाकर सँभलने लगे हैं- हर आस रेत सी क्यों हाथ से फिसलती है ? सीने से लिपटी, हर खुशी क्यों दम टोड़ती है? ढळती उम्र है पर सूरज ढला नहीं है। 2 ‍‍‍: सच की सरहद जिँदगी की शान है सूरज … Read more

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक-परिचय इक कली थी (काव्य-संग्रह) कवयित्री: कंचन पाठक दिव्य भावनाओं की सुगंध से ओतप्रोत बहती बयार है, कंचन पाठक का काव्य-संग्रह ‘इक कली थी’। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ प्रस्तुत संग्रह में कवयित्री की पचपन कविताएं हैं । ये सभी कविताएं मन का बहुत स्नेह से स्पर्श करती हैं और फिर पढने वाले को अपना बना लेती हैं । … Read more

मोदी बनाम आज़म और बाबरी बनाम दादरी बिहार चुनाव का राजनीतिक अस्त्र सिद्ध हुए

दादरी मामले में मोदी की खामोशी और आज़म खां की बेबाकी बिहार चुनाव का केंद्र बिंदू बनी ! देश की सियासी फजाओं में इंसानियत,सदभावना,शांती और कानून के राज्य के प्रती सजगता का सूरज नमूदार हुआ और देखते ही देखते सारे देश के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रभक्त बुद्धिजीवी इस तरह जाग गये कि बिहार चुनाव एक प्रयोगशाला बनकर … Read more

गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

“गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्य ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब … Read more

वाह रे, बाबू बिहारी !

ढेरों कलमे गढे, और पढा चालीसा, भीड़ तो खूब जुटी, शाह बने खलीफा । इस त्योंहार, काँग्रेस को मिली एनर्जी, …तो मोदी जी के, गले पड़ गई हार ।। भला ये कैसा, मंजर चला दोस्तों, लालू नीतीश की बही, बिहारी बयार। चैनलों ने ,चलाई दिनभर कहानियाँ, राजनीति के पंडितों ने, दिखाया आईना।। शुद्ध होता जब … Read more

छाबड़ा की शहादतः

-राजेन्द्र राज- राजस्थान के इतिहास में अब ये शब्द अमिट स्याही से अंकित हो गए है- ’’शहीद स्मारक पर मैं, शहादत देने आया हॅूं। क्योंकि इस बार का संघर्ष, सरकार से आर पार का होगा।’’ सरकार की संवेदनहीनता ने इसे साकार कर दिया। निष्ठुर बनी सरकार एक सामाजिक कार्यकर्ता के अमूल्य जीवन को लील गई। … Read more

मोदी के पराजय के कारण

लालू की कुर्बानी,नितीश का सुशासन,साहित्यकारों का विरोध और आज़म खां के सियासी हमले बिहार में मोदी के पराजय के कारण बने ! – आमिर अंसारी – उपरोक्त मुस्लिम वर्ग का बिहार के चुनावो में मुत्तहिद होकर मतदान करना बिहार के चुनाव की तकदीर लिखने की तरह था और इस सिद्धांत के प्रती अपनी आज़ाद ख्याली … Read more

अभिनंदन के अर्थ…

82 वर्ष बाद एक अभिनंदन ग्रंथ पाठकों के हाथ में फिर है। इसका नाम है ‘द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ’। अपने समय की प्रतिष्ठित हिन्दी सेवी संस्था काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने यह ग्रंथ हिन्दी के प्रथम आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सम्मान में छापा था। यह वही महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं जिन्होने भारतेंदु हरिश्चंद्र की बनाई … Read more

क्या सोशल मीडिया पर कहा सुना सब कुछ सत्य है ?

गत कुछ महीनों में संपूर्ण भारतवर्ष में जिस तरह का माहौल बना है और दिन प्रतिदिन राग-द्वैष, आरोप-प्रत्यारोप, भक्त-देशद्रोही,विकासपुरूष-घोटालेबाज़,सेक्युलर-सूडो सेक्युलर,बीफ-दादरी,असहिष्णुता-अवार्ड वापसी, अच्छे दिन-महंगे दिन, वगैरह-वगैरह की लड़ाई भक्त बनाम गैर भक्तो में जिस प्रकार से सोशल मीडिया पर चल रही है बड़ी ही दिलचस्प है। मैं क्या सही और क्या गलत है के चक्कर में … Read more

सांई बाबा: भक्त भले ही भगवान मानें, अन्य क्यों?

हिंदू मंदिरों में सांई बाबा की मूर्ति स्थापित करने पर तो विवाद होगा ही शुक्रवार 6 नवम्बर 2015 को आजतक न्यूज चैनल पर रात्रि के समय साईं बाबा को लेकर एक दिलचस्प/गंभीर व धर्म में किसे भगवान कहा जाए, के मुद्दे पर बहस देख कर यह लगा कि हम भगवान और धर्मावलम्बियों के दायरे को … Read more

वादे ! ……क्या अाएंगे ‘अब’अच्छे दिन ?

‘बेटी बचाओ’ क्या सिर्फ ‘नारा’ ही है, ‘नन्ही हथेलियाँ”, हो रहीं लहूलुहान हैं । नहीं लग रही अब,कोई कहीं लगाम है, दिनों-दिन आदमी हो रहा यों हैवान है। घूस, अपहरण और बलात्कार यहाँ वहाँ हर रोज बनता ‘फोकस’ खबरों का जहां। पीड़ित तो पीड़ित, परिजन होते शर्मसार, रक्षकों की बातकरें,नहीं बदल रहेआसार। भूखे भेड़िये से, … Read more

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