छवी २–साथी‍‌

1 तन के साथी, मन के साथी मिलकर बोझ उठायेंगे मेहनत मज़दूरी कर दोनों अपने ध्येय को पायेंगे। पत्थर गारा जो भी होगा हाथ से हाथ बटायेँगे सुख में साथ दिया है जैसे दुख में वैसे निभायेंगे जीवन पथ पर पग-पग मिलकर साथ में कदम बढायेंगे ये धूप कड़ी दिन की ढलते हर शाम सुहानी … Read more

रणक्षेत्र कुरुक्षेत्र बनाम मजीठिया

सुप्रीम कोर्ट रूपी कुरुक्षेत्र में अख़बार मालिकों की कौरवी सेना और अपने दमख़म से मैदान में डटी हुई अवमानना का केस करने वाली पांडवों की सेना के बीच रथ पर सवार श्रीकृष्ण से अर्जुन ने पूछा- हे माधव, मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना न करने वाले अख़बारों के मालिकों और … Read more

युवा कवयित्री सीमा आरिफ की रचना

तुम्हारा संघर्ष समाजवाद और मेरी पीड़ा केवल एक शिकायत मात्र? हे महात्मा! तुम नहीं हो सकते हो मेरे दुःख में सम्मिलित यह फ़हरिस्त है पुरानी मेसोपोटामिया के इतिहास जैसी तो बताओ क्या तुमने महसूस किया है कभी माहवारी का मीठा वो दर्द जिसके हर बारी आने से पूर्व और आने तक हर नारी उतारती है … Read more

युवा कवयित्री सीमा आरिफ की रचना

मेरी सोच तुम तक सिमट कर रह गई लिखी क़लम ने जो दास्ताँ वो तेरी हो गई। सुनने आया था कोई और अपना क़िस्सा फ़साना तेरे नाम का मेरी आंखें कह गई। सोचा था मिटा दूँगी अपने आप ही दास्ताँ ये पर मेरी तहरीर तेरे एहसानों का सिला दे गई। अब ये गुमाँ न करना … Read more

छवी १- कोई तो आएगा

तस्वीरें बोलती है, गुफ्तगू करना उनकी फितरत है। मानो न मानो, वे हर देखने वाले के साथ उनके अपने नज़रिये से बतियाती है। उनका एक नहीं अनेक पहलू सामने आते हैं, कभी सकारात्मक, कभी नकारात्मक, कभी फूलों सी मुलायम महक लिए, कभी काँटों की ख़लिश लिए, कभी आसमानी राहतों का बायज बनकर ये रंग भरे … Read more

हांफती जिंदगी और त्योहार…!!

-तारकेश कुमार ओझा- काल व परिस्थिति के लिहाज से एक ही अवसर किस तरह विपरीत रुप धारण कर सकता है, इसका जीवंत उदाहरण हमारे तीज – त्योहार हैं। बचपन में त्योहारी आवश्यकताओं की न्यूनतम उपलब्धता सुनिश्चित न होते हुए भी दुर्गापूजा व दीपावली जैसे बड़े त्योहारों की पद्चाप हमारे अंदर अपूर्व हर्ष व उत्साह भर … Read more

बेलगाम भगवा ब्रिगेड ?

आखिर अध्यक्ष को कुछ हया तो आई जो अपने इन बेलगाम नेताओ को बुला कर जबान पर लगाम लगाने का आदेश अध्यक्ष द्वारा सुनाया गया! लेकिन यह ऐसा भो नहीं है कि इन बेलगाम नेताओं ने कुछ पार्टी लाइन से या अपने मातृ संघठन की मर्जी की बगैर कुछ कहा हो यह सब लोग मातृ … Read more

​संघर्ष की शक्ल….!

-तारकेश कुमार ओझा- मैं जीवन में एक बार फिर अपमानित हुआ था। मुझे उसे फाइव स्टार होटल नुमा भवन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया था, जहां तथाकथित संघर्षशीलों पर धारावहिक तैयार किए जाने की घोषणा की गई थी। इसे किसी चैनल पर भी दिखाया जाना था। पहली बार सुन कर मुझे लगा … Read more

डा.भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के प्रति विचार

1- शिक्षा शेरनी के दूध के समान है, जिसे पीकर हर व्यक्ति दहाड़ने लगता हैं। 2- शिक्षा एक ऐसा माध्यम हैं जिसे प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचानी चाहिए। 3- शिक्षा सस्ती से सस्ती हो जिससे निर्धन व्यक्ति भी शिक्षा प्राप्त कर सके। 4- शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है. शिक्षा के मार्ग सभी के लिए … Read more

मजीठिया वेज बोर्ड क्या है?

सूतजी बोले- शौनकाादिक ऋषियों सहित अन्य सभी ऋषि-मुनि सुनें, इन दिनों समाचार पत्रों में चल रही हलचल और अख़बार मालिकों की छल-प्रपंच की रणनीति के बावजूद विजयश्री अखबारों के कर्मचारियों का ही वरण करेगी। शौनकादिक ऋषियों में कौतूहल का भाव था। एक ऋषि ने पूछा- मजीठिया वेज बोर्ड क्या है? सूतजी मुस्कुराये और बोले- मजीठिया … Read more

भाईसाहब, माचिस है क्या?

(नहीं…………………..) कई बार हमने यह वाक्य सुना है कि-भाईसाहब माचिस है क्या? इस वाक्य ने मुझे कुछ लिखने को प्रेरित किया है। धुम्रपान के खिलाफ हम सब को आवाज उठानी चाहिये। आपके परिवार या मित्रों में भी कोई भी धुम्रपान करता हो तो यह लेख आपके लिऐ उपयोगी है। सामान्यतः एक धुम्रपान करने वाला व्यक्ति … Read more

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