आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के संभावित प्रत्याशी के लिए कराई गई वोटिंग में जिन कुल 23 नेताओं के नाम सामने आए हैं, उनमें से कई पिछले चुनाव में भी दावेदार थे, मगर कांग्रेस के सचिन पायलट से सामना करने के लिए उन्हें छोड़ कर श्रीमती किरण माहेश्वरी को उतारा गया। इस बार उन्होंने फिर से दावेदारी कर दी है। इस बार चुनाव कुछ आसान जान कर कुछ नए नाम भी सामने आए हैं। जहां दावेदारों की संख्या का सवाल है, उसमें कुछ खास अंतर नहीं आया है। पिछली बार 22 नेताओं ने दावेदारी की थी।
इस बार ये नेता हैं दावेदार
कैबिनेट मंत्री सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा, किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी, पुष्कर विधायक सुरेश सिंह रावत, शहर भाजपा अध्यक्ष रासा सिंह रावत, देहात भाजपा अध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत, पूर्व जिला प्रमुख व मौजूदा मसूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति भंवर सिंह पलाड़ा, पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिया व श्रीमती सरिता गैना, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सी.आर. चौधरी, पूर्व विधायक किशन गोपाल कोगटा, पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत, नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, पूर्व शहर भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, जिला प्रचार मंत्री कंवल प्रकाश, डॉ. कमला गोखरू, डॉ. दीपक भाकर, सतीश बंसल, ओमप्रकाश भडाणा, गजवीर सिंह चूड़ावत, सरोज कुमारी (दूदू), नगर निगम के उप महापौर अजीत सिंह राठौड़ व डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ की पत्नी रीतू चौहान।
पिछली बार ये थे दावेदार
प्रो. रासासिंह रावत, प्रो.सांवरलाल जाट, नाथूसिंह गुर्जर, सरोज कुमारी, धर्मेन्द्र गहलोत, सरिता गेना, पुखराज पहाडिय़ा, मगरा विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मदनसिंह, पूर्व विधायक देवीशंकर भूतड़ा, पूर्व विधायक जगजीत सिंह, भागीरथ चौधरी, किशनगोपाल कोगटा, भंवरसिंह पलाड़ा, सुरेन्द्र सिंह शेखावत, रिंकू कंवर, डॉ. भगवती प्रसाद सारस्वत, डॉ. एम. एस. चौधरी, डॉ. कमला गोखरू, पूर्व पार्षद सतीश बंसल, सुकुमार, नारायण सिंह रावत,
शांतिलाल ढ़ाबरिया।
इस बार किरण माहेश्वरी का नाम गायब
पिछली बार सचिन पायलट से तकरीबन 75 हजार वोटों से हारने के बाद राजसमंद विधायक बनने के बावजूद जिस प्रकार श्रीमती किरण माहेश्वरी ने अजमेर में अपनी सक्रियता बनाए रखी, उससे यही आभास हो रहा था कि वे दुबारा यहीं से भाग्य आजमाना चाहेंगी, मगर इस बार पसंदीदा प्रत्याशियों के लिए हुई वोटिंग में किसी ने उनका नाम नहीं लिया। जाहिर है इस बार उन्होंने इसके लिए लॉबिंग नहीं की। वस्तुत: उनका नाम इस बार इस कारण चर्चा में था क्योंकि वे स्थानीय अन्य दावेदारों की तुलना में कुछ भारी हैं और इस बार चुनाव भाजपा के लिए आसान माना जा रहा है। राज्य मंत्रीमंडल में मौका नहीं मिलने के बाद यही कयास रहा कि वे मात्र विधायक रहने की बजाय केन्द्र की राजनीति में जाना चाहेंगी। वे पहले भी केन्द्रीय राजनीति में रह चुकी हैं। खैर…बात अगर अन्य वैश्य दावेदारों की करें तो पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, पूर्व शहर भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, पूर्व विधायक किशन गोपाल कोगटा, डॉ. कमला गोखरू, सतीश बंसल के नाम सामने आए हैं।
प्रो. जाट ने आगे किया अपने बेटे को
कैबिनेट मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट की गिनती पिछली बार प्रमुख दावेदारों में थी, मगर इस बार फिर मंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने बेटे रामस्वरूप लांबा को आगे कर दिया है। एक ही परिवार से एक मंत्री के बाद दूसरे को लोकसभा चुनाव के मौका दिया जाएगा या नहीं, ये जरूर विचारणीय हो सकता है।
इसलिए आगे आए किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी
किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी का नाम इस कारण आगे आया प्रतीत होता है कि दो बार विधायक बनने के बाद भी उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिल पाएगा, क्योंकि अजमेर जिले एक जाट विधायक प्रो. जाट पहले से मंत्री हैं। ऐसे में उन्हें बेहतर ये लगा होगा कि मात्र विधायक रहने की बजाय सांसद बनने की कोशिश की जाए।
जाट वोटों की बहुलता के आधार पर है सरिता गैना की दावेदारी
पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना ने अजमेर संसदीय क्षेत्र में दो लाख से ज्यादा जाट वोटों के आधार पर दावेदारी की है। आधार ये है कि जाटों के अतिरिक्त भाजपा मानसिकता के दो लाख वैश्य, सवा लाख रावत, एक लाख सिंधी व एक लाख राजपूत मतदाता जाट प्रत्याशी को जितवा सकते हैं। इसी संभावना के मद्देनजर कुछ रिटायर्ड जाट अधिकारी भाग्य आजमाने की सोच रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी. आर. चौधरी का नाम सामने आया है। सरिता गैना के ससुर सी. बी. गैना और अजमेर में कलेक्टर रह चुके महावीर सिंह का नाम भी चर्चा में रहा, मगर ताजा लिस्ट में उनका नाम नहीं है।एक अन्य जाट सज्जन भी बताए जा रहे हैं, जिन्होंने वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के दौरान अहम भूमिका निभाई बताई।
विधायक रावत हैं महत्वाकांक्षी
पुष्कर से पहली बार विधायक बने सुरेश सिंह रावत काफी महत्वाकांक्षी नजर आते हैं। पूर्व सांसद व मौजूदा शहर भाजपा अध्यक्ष रासा सिंह रावत की चुनावी राजनीति तकरीबन अवसान की ओर जाते देख सुरेश सिंह रावत की जिला स्तरीय नेता बनने के लिए मंशा उभरी प्रतीत होती है। जिले में रावतों के पर्याप्त वोट होने के बावजूद मंत्री न बन पाने की वजह से शायद उन्हें ये बेहतर लगा होगा कि क्यों न लोकसभा चुनाव के लिए आगे आया जाए।
रासासिंह रावत की इच्छा भी है बलवती
अजमेर से पांच बार सांसद रह चुके व वर्तमान में शहर भाजपा की कमान संभाल रहे प्रो. रासासिंह रावत की एक बार और सांसद बनने की इच्छा बलवती है। परिसीमन के बाद अजमेर संसदीय क्षेत्र में रावतों के वोट कम होने के कारण उन्हें पिछली बार यहां से मौका नहीं दिया गया। बाद में उनका सम्मान रखने के लिए शहर भाजपा अध्यक्ष बनाया गया, मगर वे पुष्कर से विधानसभा का टिकट चाहते थे। वह भी नहीं मिला तो फिर लोकसभा का टिकट चाहते हैं। कदाचित उनका तर्क ये हो कि रावतों के वोट कम होने के बाद भी तकरीबन सवा लाख रावत तो हैं ही। इसके अतिरिक्त यहां से पांच बार सांसद रहे हैं, इस कारण उनकी पकड़ अच्छी है।
सबसे ज्यादा उछल रहे हैं सारस्वत
अमूमन टिकट की चाह रख कर भी सीधे-सीधे टिकट नहीं मांगने वाले देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रसाद सारस्वत इस बार खुल कर दावेदारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने भरपूर कोशिश भी की है। हाल ही देहात जिला कार्यकारिणी में उन्होंने जिन नेताओं को मौका दिया है, जाहिर तौर पर उनसे ये उम्मीद की होगी कि वे उनके लिए वोटिंग करेंगे। मनमुताबिक टीम का चयन करने का भी चुनाव में फायदा मिलने का तर्क देंगे। कदाचित उन्हें उम्मीद हो कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे से नजदीकी का उन्हें लाभ मिलेगा।
पलाड़ा भी हैं मजबूत दावेदार
पूर्व जिला प्रमुख व मौजूदा मसूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति भंवर सिंह पलाड़ा ने तो पिछले दिनों पंचायतीराज सशक्तिकरण सम्मेलन के जरिए अपनी दावेदारी का डंका बजा दिया था। असल में इसकी तैयारी उन्होंने अपनी जिला प्रमुख पत्नी के कार्यकाल में बेहतरीन कार्य करवा कर कर ली थी। जहां तक टिकट लाने का सवाल है, उनके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से संबंध जगजाहिर हैं, इस कारण ज्यादा दिक्कत नहीं आनी चाहिए। सचिन के मुकाबले साधन-संपन्नता के मामले में भी वे कमजोर नहीं पड़ेंगे। राजपूतों में नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, गजवीर सिंह चूड़ावत, नगर निगम के उप महापौर अजीत सिंह राठौड़ व डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ की पत्नी रीतू चौहान की दावेदारी भी सामने आई है।
सिंधी दावेदार के रूप में उभरे कंवल प्रकाश
तकरीबन एक लाख सिंधी वोटों के दम पर स्वामी समूह के सीएमडी व शहर जिला भाजपा के प्रचार मंत्री कंवल प्रकाश किशनानी का दावा सामने आया है। वे अजमेर उत्तर विधानसभा सीट के भी प्रमुख दावेदार रहे हैं। ज्ञातव्य है कि अजमेर से एक बार कांग्रेस के आचार्य भगवान देव सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने भूतपूर्व मंत्री स्व. किशन मोटवानी पर भी दाव खेला था। उनका परफोरमेंस भी ठीकठाक रहा, वो भी तब जबकि सिंधियों का रुझान भाजपा की ओर माना जाता है। ऐसे में अगर प्रदेश की 25 viagra online canada में एक सीट पर भाजपा सिंधी पर प्रयोग करे तो वह कारगर भी हो सकता है।
लब्बोलुआब, केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट की संभावित उम्मीदवारी के मद्देनजर भाजपा उन्हीं के जोड़ के नेता को मैदान में उतारेगी। केवल स्थानीयता के नाम पर सीट पर कब्जा करने का अवसर नहीं चूकेगी। बताया तो ये जाता है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तो नाम का पैनल तय कर रखा है, यह कवायद केवल स्थानीय स्तर पर पार्टी को सक्रिय करने और नेताओं व पदाधिकारियों का पक्ष भी जानने के नाम पर की है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
sab hi damdaar hain to kamjor kaun hai.
ticket nahi hua koi cinema ka ticket hua ho ,bus ticket lo hall me entry ho jaigee,