स्वाइनफ्लू में भी लूट रहे है प्राइवेट अस्पताल

swine flu logoस्वाइनफ्लू के रोग से जहां पूरे प्रदेश में भय का माहौल है, वहीं प्राइवेट अस्पताल इस माहौल में भी लूट रहे हैं। स्वाइनफ्लू का इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही हो रहा है। स्वाइनफ्लू की आशंका के मद्देनजर जब कोई मरीज प्राइवेट अस्पताल में पहुंचता है तो उसे अस्पताल के डॉक्टर देखते भी नहीं है। ऐसे मरीज को तुरंत सरकारी अस्पताल का रास्ता दिखा दिया जाता है। वहीं जब कोई व्यक्ति बचाव के लिए प्राइवेट अस्पताल पहुंचता है तो उसे तत्काल वैक्सीन लगा दिया जाता है। इस वैक्सीन की एवज में 500 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। चूंकि प्रदेश में अब तक स्वाइनफ्लू से करीब 100 जनों की मौत हो गई है और सैकड़ों मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे है, इसलिए सामान्य व्यक्ति भी बचाव के लिए प्राइवेट अस्पताल पहुंच रहे हंै। इन अस्पतालों में स्वाइनफ्लू रोग का इलाज तो नहीं हो रहा है, लेकिन वैक्सीन लगाने के नाम पर लूट हो रही है। सवाल उठता है कि क्या प्राइवेट अस्पतालों का समाज के प्रति कोई दायित्व नहीं है, जब पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है, तब इन अस्पतालों की भूमिका लुटेरे संस्थान के रूप में सामने आ रही है, जबकि ऐसे अस्पताल सरकार से न केवल रियायती दरों पर जमीन लेते हैं, बल्कि अनुसंधान के नाम पर कई प्रकार की सुविधाएं भी ले रहे हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भी स्वाइनफ्लू के इलाज का काम करवाया जाए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि स्वाइनफ्लू का इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में हो और प्राइवेट वाले लूटते रहे। जिस तरह से इस रोग का लगातार विस्तार हो रहा है, उससे सरकार के साधन कम पड़ रहे है। सरकार को प्राइवेट अस्पतालों का उपयोग करना ही चाहिए। शर्म की बात तो यह है कि अभी तक किसी भी प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधन ने अपनी ओर से स्वाइनफ्लू के इलाज का प्रस्ताव नहीं दिया।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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