ये कोई GI पाइपों का roadside शो रूम नहीं है बल्कि पहाड़ों पर बसे लोगों द्वारा स्वयं की गयी अपनी जलापूर्ति व्यवस्था है । अजमेर शहर की सीमा में लगभग सभी पहाड़ों की वन भूमि पर अब इंसानी बस्तियां बस चुकी हैं और यहाँ बिजली पानी सड़क सुविधा देना और उन्हें बनाये रखना एक बहुत बड़ी इंजीनियरिंग और प्रबंधन चुनौती है । सभी पहाड़ी ढाल अब धीरे धीरे चोटियों तक बस्तियों में तब्दील हो रहे हैं । यह अनियंत्रित विकास असुरक्षित, असुविधाजनक और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में परिवर्तित हो चुका है । आवास की आवश्यकता एक मूलभूत समस्या है और समतल भूमि पर वाजिब दाम की रिहायशी सुविधा या भूमि न मिल पाने और नतीज़तन पहाड़ी वन भूमि पर बेरोकटोक अनियोजित निर्माण के चलते अब अजमेर के सभी पहाड़ी ढलान urban slums बन चुके हैं ।
इंजीनियर अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार