-अमित सारस्वत की रिपोर्ट…
जब नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव लड़ने का मानस बनाया तो चहुँओर से आवाज उठी की अच्छे दिन आने वाले है। फिर होना क्या था जनता ने विश्वास जताया और भाजपा ने लोकसभा में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। आज भाजपा के एक साल पूरे हुए है। भले ही आमजन के अच्छे दिन के सपने पूरे होना बाकि हो। लेकिन ब्यावर में कांग्रेस ने अच्छे दिन आने की मिसाल पेश की और इसकी सराहना भी हुई।
हुआ यूँ कि सोमवार को नगर परिषद् की साधारण सभा बुलाई गई। इस सभा में जनहित के मुद्दों पर चर्चा होनी थी, लेकिन भाजपा की महिला पार्षद उमा खंडेलवाल के देहांत हो जाने से सदन में शोक सन्देश पढ़कर श्रद्धाञ्जलि दी गई और सभा को समाप्त कर दिया। सभा में जनहित के मुद्दों पर चर्चा न होने से नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र प्रजापति ने सदन को निवेदन किया कि सभा में विकास के मुद्दों पर चर्चा नही होने से कांग्रेस के सभी 11 पार्षद सभा का मिलने वाला मानदेय नही लेंगे और टेबल बजाकर सभी ने सहमति जताई, तो निर्दलीय पार्षद दलपत मेवाड़ा, ज्ञानदेव झंवर, महेन्द्रसिंह गौड़, भगवत सिंह, नरपतसिंह और सम्पति बोहरा ने भी मानदेय लेने से मना कर दिया। ऐसा करने से सरकार को राजस्व फायदा तो हुआ, साथ ही पार्षदों की मानसिकता से अच्छे दिन की शुरुआत हुई है। यदि जनहित में जनप्रतिनिधि अपने पद और सोच का सही तरीके से निर्वहन करे, तो कांग्रेसी और निर्दलीय पार्षदों की तरह हर व्यक्ति आर्थिक व सामाजिक हित में सरकार की मदद कर सकता है।