अस्पताल में पिने के लिए ठंडा और स्वच्छ पानी नहीं मिलता । टॉयलेट गंदगी से भरे रहते हे । बेड शीट गन्दी या फटी हुई मिलेगी । भोजन की क़्वालिटी हलकी मिलेगी ,दवाइयो की उप्लबब्धता की कमी। मेडिकल जाँचे की शिकायते एक्सरे मशीन और अन्य मशीने । BP मोनिटर और ecg मशीनों की शिकायते आये दिन सुनने को मिलती हे । क्या यह सरकार जब करोडो का बजट अस्पताल में सुविधाओ के नाम पे जारी करती हे वो आखिर जाता कहा हे ।
जबकि समाज में कई छोटी बड़ी स्वयं सेवी संस्थाये, सामाजिक और पारिवारिक चेरीटेबल ट्रस्ट, NGO और अन्य कई सामाजिक संगठन समय समय पे अस्पताल में ठन्डे और शुद्ध पानी के मशीने, छत के पंखे, कूलर, बैठने की स्टूल और सामान रखने की छोटी अलमारियां, बेड शीट, और कई सारी ऐसी चीजे हे जो उपरोक्त संस्थाये और व्यक्ति अपनी और से अस्पताल में भेट करती हे और ये सब अस्पताल में आसानी से देखने को भी मिल जाएगा । अब बात यह हे की इन सब चीजे जो की व्यवस्था सरकार को अपने खर्चे पे करनी चाहिए वह सब करती हे सेवा संगठन । और तो और इन सब चीजो का मेंटिनेंस भी सरकार अपने खर्चे पे नहीं करवा सकती इस कारण ये वस्तुए कुछ् समय बाद मेंटिनेंस के अभाव में नकारा हो जाती हे । क्या सरकार इतना भी नहीं कर सकती की दान दाताओ द्वारा दी गई भेट का रख रखाव कर सके ।
अब एक सोचने वाली बात यह हे की जो कार्य सरकार के हे वो करते हे दानदाता फिर भीअसप्ताल के नाम पे जो करोडो का बजट जारी किया जाता हे उसका क्या होता हे आगर दानदाता नहीं हो तो इन अस्पतालो का क्या हाल होगा गरीब जनता का क्या होगा । कल्पना करके ही रूँह काँप जाती हे । सभी दानदाताओ और सेवा संगठनो को साधुवाद ।
सरकार की इसी अव्यवस्था के चलते सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव का ग्राफ निरंतर गिर रहा हे इसका मुख्य कारण सोनोग्राफी हो या ब्लड या यूरिन की जांच की सेम्पल की लंबी कतार हो या आउटडोर में दिखाने के लिए लंबी लंबी कतारो में खड़ा होना ही पीड़ा दायक होता हे फलस्वरूप 25 जिलो के सरकारी अस्पतालो में प्रसव में कमी आई हे ।
हेमेन्द्र सोनी @ ब्यावर bdn
