में खुद भी उसी बस में यात्रा कर रहा था। रात्रि 11.15 तक तक बस की व्यवस्था नहीं हुई । रोड से गुजरने वाली ब्यावर डिपो सहित अन्य बसो को कंडक्टर चिरंजीलाल ने अपनी टिकट मशीन दिखा दिखा के रोकने का प्रयास किया किन्तु किसी ने बस को रोकना मुनासिब नहीं समझा । बड़ी मुश्किल से एक बस रुकी उसमे महिलाओ और छोटे बच्चों को बिठा के भेजा गया । और कुछ यात्री ट्रक में कुछ यात्री ट्रेवल्स की बस में रवाना हुए । इन ट्रक और बस वालो ने बाई पास पे ही सवारियो को उतार दिया । रात्रि के समय बाई पास पे साधन ना मिलने से मुह मांगी कीमत पे सवारियो को बस स्टेण्ड तक के लिए ऑटो करने पड़े जिससे उनकी जेब हलकी हो गई । कंडक्टर ने यात्रियों द्वारा पैसा मांगने पे किसी को भी पैसा नहीं लौटाया । कंडक्टर ने बताया की इस मालिक की 5/7 बसे चलती हे और सभी बस में से आये दिन किसी ना किसी बस में डीजल ख़त्म होने की शिकायत मिलती रहती हे लेकिन अपने चहेतो को लाभ पहुचाने के लिए बस मालिक पे कोई कार्यवाही नहीं करते और ना ही उनको बस को हटाते हे जनता चाहे दुखी हो लेकिन अफसरो को कोई चिंता नहीं पता नहीं क्या हो गया वो किसी की शिकायत पे जन हित में कोई फेशला ही नहीं लेते ।
हेमेन्द्र सोनी @ bdn
