इस तरह ऑब्लाइज किया स्थानीय नेताओं कोबिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी 12 जून को भाजपा की नाव में सवार होकर अजेमर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत करने आए। मांझी ने एक दिन पहले ही दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ही मांझी ने कहा कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगी। 12 जून को मांझी जब अजमेर आए तो भाजपाइयों से घिरे रहे। मांझी का खुद का तो अजमेर में एक भी समर्थक नहीं है, लेकिन भाजपा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत, शरद गोयल, देवेन्द्र सिंह शेखावत, अरविंद यादव, इब्राहम फकर आदि मांझी को घेरे रहे। सर्किट हाउस पर इन्हीं नेताओं ने मांझी की प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाई और फिर दरगाह भी ले गए। बिहार की राजनीति में मांझी की दरगाह जियारत मायने रखती है, क्योंकि बिहार के मुसलमानों की ख्वाजा साहब के प्रति गहरी आस्था है। गरीब तबके का मुसलमान बड़ी संख्या में बिहार से यहां जियारत के लिए आता है। मांझी स्वयं को भी महादलित वर्ग का नेता मानते हैं। मांझी ने अपने ही अंदाज में बिहार के सीएम नीतिश कुमार और आरजेडी के लालू प्रसाद यादव पर तीखे हमले किए। साथ ही भाजपा को भी यह चेतावनी दी कि बिहार में उनके बिना भाजपा की सरकार नहंी बन सकती है। (एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511