अनिल पाराशरआज के युग में इंसान किस हद तक गिर जाता हे इसकी हम कल्पना भी नही कर सकते इसका ताजा उदाहरण पुष्कर में देखने को मिल रहा हे जो कुछ लोग इस दर्दनाक हादसे पर अफ़सोस जताना तो दूर अपनी राजनीती रोटिया सेकने के लिए राजनीती करना शुरू कर दिए सीवरेज लाइन की सफाई के दौरान तीन घरो के चिराग बुझ गए जिन्हें बचाने के लिए पुष्कर नगरपालिका के पार्षद कर्मचारी और स्थानीय लोग जी जान से जुट गए और इस दर्दनाक हादसे से पूरा पुष्कर सदमे में आ गया हर कोई इस दुखत घटना को सुनकर स्तब्ध हो गया।पुष्कर का हर नागरिक जब यह तीनो युवक सीवरेज लाइन के अंदर थे तो कोई निकालने का प्रयास कर रहे थे कोई भगवान से उनको बचाने की प्राथना पर होनी को कुछ और ही मंजूर था।इतना कुछ हो जाने के बावजूद आज जो लाशो पर राजनीती करने की कोशिश कर रहे हे यह लोग घटना को सुनकर मोके पर तक नही पहुंचे और आज अपनी राजनीती रोटिया सेकने के लिए इस पर राजनीती करना शुरू कर दिए कितने दुर्भाग्य की और शर्म की बात हे की इंसान भी किस हद तक गिर जाता हे।इसे कहते हे कलयुग इंसान कुछ भी कर सकता हे ।इनकी बातो पर लोगो को काफी अफ़सोस हो रहा हे की आख़िरकार यह किस माटी के बने हुए हे कम से कम यंहा तो राजनीती करने से बाज आये।अगर इनको जरा सी भी शर्म हे तो इनको राजनीती करना छोडे कोई बात नही किसी करणवंश मोके पर नही पहुंचे अगर आपको इस घटना से थोडा भी दुःख हुआ तो इनके परिजनों को इस दुःख की घड़ी में जाकर शोक संवेदना तो व्यक्त कर सकते हे। अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर