दावेदारी के लिए पहली बार हुआ सोशल मीडिया का उपयोग

ward 2 shailendra agarwal 1ward 2 hemant jodha congward 34 chanchal devi congward 17 naresh sarwanward 10 mohsin khanward 36 k c jonwalward 2 shailesh guptaward 52 l k tolaniये पहला मौका है कि विभिन्न पार्टियों के नेता नगर निगम चुनाव में टिकट की दावेदारी के लिए सोशल मीडिया और बैनर-पोस्टर का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जिन्होंने विधिवत दावेदारी से पहले ही अपने अपील वाले पोस्टर फेसबुक, वाट्स एप आदि पर जारी कर दिए हैं। जिनके पास पहले से वाट्स एप ग्रुप्स हैं, वे उनका उपयोग कर रहे हैं, तो कुछ नए ग्रुप बना कर अपने लिए समर्थन जुटा रहे हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, या तो उनका अब तक फेसबुक अकाउंट नहीं था, या था तो उसका कुछ खास उपयोग नहीं करते थे। कुछ ने अपने-अपने वार्ड में भी पोस्टरों का प्रदर्शन किया है। कुछ दावेदार जहां सिर्फ दावेदारी में समर्थन करने की अपील कर रहे हैं, वहीं कुछ सीधे तौर पर यह जता रहे हैं कि उनका टिकट तो पक्का ही है। जाहिर तौर पर जो कंप्यूटर और सोशल मीडिया के बारे में कम अथवा बिलकुल नहीं जानते, उन्हें अपना पिछड़ापन दिख रहा है।
वस्तुत: सोशल मीडिया का यह प्रयोग टिकट निर्धारण करने वालों पर प्रभाव डालने के साथ ही अपने-अपने वार्ड में यह जताने के प्रयास भी है कि वे दमदार दावेदार हैं। इसका अर्थ ये निकालना तो ठीक नहीं कि जिसने जितना ज्यादा प्रचार किया है, वह उतना ही दमदार दावेदार है, मगर कम से कम उनकी कोशिश तो यही है कि वे इसके माध्यम से अपनी लोकप्रियता दर्शाना चाहते हैं। इसका लाभ उनको तो मिलेगा ही, जिनका टिकट पक्का हो जाएगा, क्योंकि चुनाव से पहले ही उनका प्रचार हो चुका होगा। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अब तक किया गया प्रचार चुनाव आचार संहिता से बच जाएगा। इस खर्च के बारे में चुनाव आयोग पूछ ही नहीं पाएगा, चूंकि चुनाव खर्च की सीमा तो आचार संहिता लागू होने के बाद से मानी जाएगी।
जो कुछ भी हो, स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर के नेता भी सोशल मीडिया फ्रेंडली होते हुए स्मार्ट बन रहे हैं, जो एक सुखद बात है। उधर कंप्यूटर डिजाइनिंग करने वाले और फ्लैक्स बनाने वालों की चांदी हो रही है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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