राजेंद्र हाड़ायाद आया कुछ। यह डायलॉग है एके हंगल का है जो उन्होंने शोले फिल्म में बोला था। डॉयलाग तो सेम टू सेम उन्हीं का है, परंतु लागू होता है कांग्रेस पर और बात चल रही है नगर निगम के चुनावों की। पिछले यानि जाते निगम के तो हालात ही अजीब थे। कांग्रेस के ही मेयर कमल बाकोलिया और कांग्रेस के ही नेता प्रतिपक्ष नरेश सत्यावना। दोनों हाथों में लड्डू थे। अच्छा काम हुआ तो हमारा कांग्रेसी मेयर है और खराब हो तो बच्चों की तरह हमने नहीं किया-हमने नहीं किया, भाजपा पार्षदों का बहुमत है कहकर मैदान से भाग लिए। अब हालत यह है कि सामान्य पुरूष के लिए आरक्षण होते हुए भी मेयर के लिए दूर-दूर तक कोई दावेदार नहीं है। भाजपाई जहां ‘प्रथम नागरिक’ के इस ओहदे को थामने, लपकने, लूटने, टपकने हर हालत के लिए तैयार हैं वहीं कांग्रेस में एक भी नाम खुलकर सामने नहीं आ रहा। बिना किसी संवैधानिक पद के गाड़ी पर वीआईपी लिखवाकर, लाल बत्ती और लाल पट्टी लगी गाड़ी लेकर घूमने के शौकीनों की कांग्रेस में कमी नहीं है। नंबर प्लेट के उपर लाल पट्टी पर भी लिखते क्या है राजपीसीसी यानि दिखने में लगे आरपीएससी और असल में है राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी, पर असली लाल बत्ती और लाल पट्टी लगी गाड़ी लेने की उनकी हिम्मत नहीं है। हिम्मत तो छोड़िए कोशिश भी नहीं कर पा रहे। पार्षद बनने के लिए तो लाइन जुटी परंतु मेयर के लिए कोई नाम नजर नहीं आया। क्या माना जाए- उम्मीद नहीं है, या हिम्मत की कमी है। या यह कांग्रेस नेता अपनी उस अनजानी परम्परा से खौफ खा चुकें कि भाजपाइ भाइयों को तो संभाल लेंगे परंतु इन भितरघाती कांग्रेसियों से कैसे निपटेंगेे ? ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस में इस पद के लायक या सामान्य पुरूषों की कमी रही। जसराज जयपाल, राजकुमार जयपाल, ललित भाटी, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती इन पहले विधायक रह चुके को छोड़ दें, फिर भी लम्बी लाइन है। शहर अध्यक्ष महेंद्र सिंह रलावता, राजेश टंडन, कुलदीप कपूर, डॉ. सुरेश गर्ग, ललित जड़वाल, गुलाम मुस्तफा, प्रियदर्शी भटनागर, फकरे मोइन चगैरह-वगैरह। नाम आना चाहिए बस कैसे भी आए इस सोच के साथ ज्यादातर कांग्रेस नेता आए दिन अखबारों में विज्ञप्तिं और लोकल टीवी चैनलों पर बाइट देते रहते हैं फिर भी चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि जब बिना काम के छपे नाम और टीवी की बाइट्स से ही काम हो रहा है तो क्यों पंगा लें और मुटठी खुलवाकर अपनी औकात जगजाहिर करें। वैसे इस बारे में ज्यादा हकीकत महिला कांग्रेस अध्यक्ष मुसव्विरा सबा खान, वार्ड 12 की शकुंतला खंडेलवाल और पत्रकार नवाब हिदायतुल्लाह से ज्यादा अच्छी तरह कौन बता सकता है! -राजेन्द्र हाड़ा