ब्यावर राजनीति का एक रंग ऐसा भी..

kulbhushanअतिक्रमण की आड में गरीबों के घर जब उजड़े तब गले से चीख ना निकली, लेकिन अभियान के अंतर्गत घर की दिशा दिखाते साईन बोर्ड क्या हटा दिये, बवाल मच गया। वाह रे राजनीति, प्रकृति के मौसम का रंग बदलते देखा, लेकिन तेरे नायकों का सियासी रंग ऐसा बदलेगा, ये नही देखा। गुरुवार को अमृत योजना के अंतर्गत हटाये गये अतिक्रमण पर कोई कुछ नही बोला, सभी ने कार्रवाई का स्वागत किया लेकिन ज्यो ही सभापति व उपसभापति के साईन बोर्ड पर जेसीबी का हठौडा क्या चला मानों सियासी जीवन खड्डे में गिर गया हो, बवाल भी ऐसा मचा कि परिषद में एक के भले दो, दो से भले चार लोग द्धेषतावष राजनीति की आग में घी डालने चले आये। यहां तक की उपखंड प्रशासन को कल से परिषद की टीम ना भेजनें की धमकी तक दे डाली। अब इन्हे कौन समझाये जनता के दिलों में घर साईन बोर्ड से नही विकास की ईंट से बना करते है जो उनके सियासी जीवन का इंजन चलाते है। अजमेर रोड पर स्थित स्थान पर सालों से जानवरों की खैली का निर्माण हो रखा था, आवारा गांये जहां हर रोज पानी पीकर अपनी प्यास बुझाती थी, कुछ दूरी पर सैंकडों लोगों की प्यास बुझाने वाली प्याउ भी निर्मित थी। इतना ही नही कुछ भामाशाहों ने छोटे पेड़ों की सुरक्षा हेतु ईंट पत्थर रखकर उन्हे उन्नत जीवन देने की सोच से सुरक्षा घेरे का निर्माण किया था। उसी प्याउ, सुरक्षा घेरे और जानवरों की खैली पर कार्रवाई की तलवार चलाई गई, लेकिन मै हैरान हूं क्योकि कोई राजनेता इस घटना से चिंतित नही हुआ बल्कि राह दिखाता साईन बोर्ड क्या हटा, एक दफा तो पूरा अभियान खटाई में पड गया। साईन बोर्ड अगर अतिक्रमण की आड में है या फिर नियमों के तहत लगाने जरुरी है तो खींचतान करने के बजाय आपसी सहमति से सुरक्षित स्थान पर लगाकर इस गंदी राजनीति से बचा जा सकता था लेकिन अब प्रतीत होता है कि राजनीतिक रोटिया अभी तक सैंकी जा रही है। पूरे शहर में जहां अतिक्रमण का ढंका बजता है, उस ढ़ोल पर थाप मारने के बजाय ढ़ोलकी पर ताल मिलाने से कुछ नही होगा, शहर को स्मार्ट बनाने का सपना देखा तो उस सपने को सच करने के लिये कार्रवाई के दूध में बाॅर्नविटा जैसी ताकत भी लानी होगी। मेरा इन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से सवाल है कि यदि वो आवारा पशुओं को स्थान नही दे सकते, उनकी प्यास बुझाने के लिये उचित प्रबंध नही कर सकते, तो फिर उनके जीवन में छेडछाड कर भामाशाहों के हौंसले को क्यो तोडते है ? सवाल बड़ा- क्या ब्यावर ऐसे स्मार्ट बनेगा।

कुलभूषण उपाध्याय

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