राजेन्द्र हाड़ानगर निगम बने अजमेर में करीब आठ साल होने जा रहे हैं परंतु अभी तक हमारी मानसिकता है कि नगर पालिका की ढ़ांचागत व्यवस्था से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। नगर निगम का विस्तार अब उन इलाकों तक हो चुका है जो कभी शहर से बाहर माने जाते थे। माखुपुरा, घूघरा घाटी पार, दौराई, पंचशील नगर सभी इलाके इतनी दूरी पर है कि अजमेर नगर निगम के दफतर आने के लिए कम से कम एक घंटे का समय चाहिए। यातायात और वाहन पार्किंग की समस्या भी रहती है। महानगरों की तरह अजमेर में भी अब दूरी किलोमीटर से नहीं बल्कि समय से नापी जाने लगी है। इस विस्तार के साथ ही क्यों नहीं दिल्ली, मुबई से लेकर इंदौर तक के महानगरों का अनुसरण किया जाना चाहिए। नगर निगम को अपने क्षेत्रीय कार्यालय बनाने चाहिए। रामगंज, बिहारीगंज, नाका मदार, वैशाली नगर, शास्त्री नगर में ऐसे क्षेत्रीय निगम कार्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए। इन कार्यालयों के अधीन कुछ वार्ड तय कर दिए जाएं और जलदाय, रोडवेज, रेलवे, बिजली कार्यालयों की तरह रोस्टर के आधार पर यहां कर्मचारियों की ड्यूटी लगे ताकि रविवार और त्यौहार के दिन भी यहां कोई ना कोई उपलब्ध रहे। नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं के संचालन और नियंत्रण की जिम्मेदारी इन कार्यालयों के अधीन रहे। नगर निगम इनकी सिर्फ मॉनिटरिंग का काम करे। करीब नब्बे प्रतिशत आम आदमी चाहता है कि उसके घर के आस-पास सफाई रहे, रात को अंधेरा नहीं रहे। इनकी शिकायतें और समाधान वहीं हो जाए। जन्म-मृत्यु-विवाह पंजीकरण का इंद्राज वहीं हो जाए और बाद में उसी सूचना के आधार पर नगर निगम से बनकर आए प्रमाण-पत्र उसे दे दिए जाएं। अतिक्रमण की शिकायतें वहीं दर्ज हो और कार्यवाही के लिए नगर निगम को भेज दी जाएं। क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन आने वाले वार्ड के सामुदायिक भवन भी रहें ताकि नागरिकों को उसकी बुकिंग आदि के लिए परेशान नहीं होना पड़े। पार्षदों के भी आधे काम वहीं हो जाएंगे। महापौर और सीइओ पखवाड़े या महीने में एक दिन वहां अपना कैम्प लगाए ताकि नागरिकों का उनसे सम्पर्क भी बना रहे और समस्याओं का निपटारा भी होता रहे। इसी तरह बाद में क्षेत्रीय कार्यालयों के अधीन उप क्षेत्रीय कार्यालय भी गठित किए जा सकते हैं। -राजेन्द्र हाड़ा 09829270160