क्यों की जा रही हे पुष्कर मेले की उपेक्षा

pushkar 21अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले की आखिकार क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि कर रहे हे उपेक्षा क्या प्रशासन इस मेले को खत्म करने में आमदा हो रखा हे क्यों रूचि नही दिखा रहे पुष्कर मेले के प्रति प्रशासन और जनप्रतिनिधि मेले के पूर्व बाते तो बड़ी बड़ी करते हे पर होता क्या वोही ढाग के तीन पात होता जाता कुछ नही एनमोके पर लीपा पोती हिन्दुओ के आस्था के केंद्र की जा रही उपेक्षा में किसको दोष दे हकीकत में देखा जाये तो आज तक पुष्कर को ऐसा दबंग जनप्रतिनिधि नही मिला जो प्रशासन पर अपनी पकड रख सके इसका सीधा फायदा प्रशासन को मिल रहा हे जो मेले की व्यवस्थाओ की तेयारियो की बैठक में पुष्कर के जनप्रतिनिधियो को महत्व नही दिया जाता और अजमेर में बेठे बेठे ही अपने एसी कमरों में व्यवस्थाओ को अंजाम दे देते हे लेकिन कभी भी पुष्कर के विभिन्न संगठनो और जनप्रतिनिधियो से पुष्कर मेले की व्यवस्थाओ के बारे में सलाह लेना भी मुनासिब नही समझते दोष किसको दे कमजोरी जो हमारी हे हम में वो ताकत और हिम्मत नही की प्रशासन के खिलाफ आवाज भी उठा सके जो हो रहा हे अच्छा हो रहा हे हम यह सोचकर अपनी बला टाल लेते हे की कोंन आफत मोल ले पांच दिन का मेला हे जेसे तेसे निकल जाये शांति बनाये रखे चुपचाप मोनी बाबा बनकर बैठ जाओ जो हो रहा हे बस उसे देखते जाओ पर हम यह कभी नही सोचते की मेले में आने वाले लाखो श्रदालुओ के साथ क्या बीतती होगी उन्हें कितनी समस्याओ का सामना करना पड़ता होगा वो क्या सन्देश लेकर जायेगे। पर क्या करे और कर भी क्या सकते हमारे पीछे कोई बोलने वाला भी तो होना चाहिए मेले में जनप्रतिनिधियो की तो चलती हे नही और उन्हें कोई पूछता तक नही तो फिर आम आदमी की क्या ओकात जो प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा सके। अब आप खुद ही देख लीजिये मेले के मात्र कुछ दिन शेष बचे लेकिन तेयारियो के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही मेला पुष्कर में भरा जा रहा हे और तेयारिया अजमेर में हो रही हे वो भी सिर्फ कागजो में ।

अनिल पाराशर
अनिल पाराशर
लेकिन कहते हे बंदा कितना भी लाख बुरा चाहे मंजूरे वही होता हे जो ब्रह्मा जी चाहते हे पुष्कर मेले की कितनी भी उपेक्षा की जाये हमारा मेला प्रतिवर्ष ब्रह्मा जी के भरोसे भरता आया हे और भरता रहेगा ।
अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर।

error: Content is protected !!