गेरा साहब, कुछ हमारी भी सुनो

एन के जैन सीए
एन के जैन सीए
अजयमेरु टाइम्स व अजयमेरु नागरिक अधिकार एवं जनचेतना समिति के माध्यम से मुद्दत से कहते आ रहे हैं, पुन: कहना चाहते हैं:-
1. अजमेर विकास प्राधिकरण की वेबसाइट नगर सुधार न्यास के समय बनाई गई थी, जिसके बनाने के लिए उदयपुर की एक फर्म को लगभग एक करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। आज भी इस वेबसाइट में सिटीजन चार्टर का कॉलम प्रारम्भ से (लगभग पांच वर्ष) यही कह रहा है कि यह अण्डर प्रोगे्रस है। यह कॉलम किसी भी संस्था या सरकारी विभाग की रीढ़ होती है, इसी से मालूम होता है कि यह विभाग या कार्यालय किसलिए बना है, जनता को क्या सेवाएं व वे सेवाएं कितने समय में देगा। संस्था में किस कार्य के लिए कौन सी सीट या अधिकारी नियुक्त है, आदि-आदि। जब यह सिटीजन चार्टर ही नहीं है तो फिर जनता को तो धक्के ही खाने हैं, आज भी खा रही है।
पिछले अध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र भटनागर साहब ने अजमेर को स्मार्ट बनाने के क्रम में अनगिनत मीटिंगें की। जनता तो जानती है कि एसी कमरों में बैठ कर की गई ये मीटिंगें दिखावटी कवायदें ही साबित हुईं क्योंकि अजमेर नगर वासियों को कहीं से भी तो यह नहीं लगा कि स्मार्ट बनने की दिशा में कहीं कुछ हो रहा है। उनके कार्यकाल में अजमेर विकास प्राधिकरण की वेबसाइट का भी उद्धार नहीं हो सका तो जनता ने तो समझ लिया कि हाथी के दांत……….।
2. आज भी वेबसइट में अध्यक्ष के रूप में पूर्व अध्यक्ष श्री भटनागर का ही नाम, फोन, ई मेल आई डी ही बताया जा रहा है। पूर्व में तो डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को तब तक अध्यक्ष बताया जाता रहा, जब तक कि श्री धर्मेश जैन (पूर्व अध्यक्ष) प्रकरण नहीं हो गया। यह बदलाव भी तब हुआ जब अजयमेरु टाइम्स ने यह खबर छापी। इसी तरह अन्य सूचनाएं भी पुरानी ही लगा रखी हैं। इस तरह कैसे यह सिटी स्मार्ट बनेगा?
3. जनता को पता होना चाहिए कि प्राधिकारण की व पूर्व नगर सुधार न्यास की मीटिंगेंं कब-कब हुई हैं तथा उसमें क्या-क्या निर्णय हुए हैं। आज जी यह सब जनता से छुपाया जा रहा है।
4. न्यूज लैटर के नाम से बहुत मामूली सा एक लैटर वेबसाइट पर डाला गया है। यह तो सब स्मार्ट की निसानी नहीं है।
5. सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु जिस पर आपका निर्णय अजमेर के नागरिकों को भारी राहत दे सकता है तथा पूरे राज्य में एक कीर्तिमान बना सकता है:-
नगर सुधार न्यास ने अपनी जिन योजना हेतु जो भूमि अवाप्त की, जिसका मुआवजा नहीं दिया और 20 वर्ष बाद भी जिस भूमि पर कोई कार्य योजना नहीं बनाई क्योंंकि वहां पहले से ही बस्ती बनी हुई थी, ऐसी भूमि कभी भी न्यास या प्राधिकरण के काम में नहीं आएगी। इस प्रकार की भूमि न्यास की जे.पी. नगर योजना में है, अन्य योजनाओं में भी अवश्य होगी। इस प्रकार की भूमि को अवाप्ति से मुक्त किया जाय। इसका प्रावधान केन्द्र द्वारा लागू नए भूमि अधिनियम में है। इसकी मांग कई बार अजयमेरु टाइम्स में की गई है।
6. अजमेर के प्रस्तावित मास्टर प्लॉन 2033 में रही कई खामियों की तरफ अजयमेरु टाइम्स ने ध्यान आकर्षित किया था। विशेष रूप से नाका मदार क्षेत्र में गुलाबबाड़ी रेल फाटक से नेहरू नगर तक फैले व्यावयायिक क्षेत्र के सम्बन्ध में । यह आयरन स्क्रेप व्यापार, उद्योग क्षेत्र लगभग 30 वर्ष पूर्व से विकसित है, जिसे प्रस्तावित मास्टर प्लॉन में आवासीय दिखाया गया है। इस त्रुटि को सुधारकर इस पूरी बैल्ट को व्यावसायिक दिखाया जाना चाहिए। इसी क्षेत्र में तीन धर्मकांटें, रोलिंग मिल व अन्य इण्डस्ट्रीज/ कारखाने हैं। इस तथ्य की जांच की जाय व त्रुटि को दूर किया जाए।
एन के जैन सीए
पत्रकार

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