समय पर दिया सहयोग ही सार्थक

IMG-20160112-WA0005आज दिन में मेरे पास सामाजिक कार्यकर्ता सुरभि जी का कॉल आया कि ‘अस्पताल में एक प्रसूता को A+ ब्लड की तत्काल आवश्यकता है। एक यूनिट मैंने अरेंज करवा दिया है, 2 यूनिट की व्यवस्था आप जल्द करवाइए।’ चूंकि मामला प्रसव से जुड़ा था तो मौके की नजाकत समझते हुए मैंने तत्काल डोनर से सम्पर्क किया। एक डोनर ने तीन दिन पहले रक्तदान किया था और दूसरे का मोबाइल ऑफ बता रहा था। इस बीच सुरभि जी का दोबारा कॉल आ गया, ‘भैया डोनर को लेकर जल्दी अस्पताल जाइए।’ मैंने तत्काल एक शॉर्ट मैसेज बनाकर वॉट्सएप पर ब्यावर से जुड़े चार ग्रुप में फॉरवर्ड किया। एक ग्रुप से स्वाति जी ने त्वरित गंभीरता दिखाई। बालकिशन जी शर्मा का कॉल भी आ गया। एक मित्र महेश दगदी ने ब्यावर के ब्लड डोनर की सूची भेजी। मैंने उसमें नाम देखकर अपने मित्र विजय अनुरोध को कॉल किया। उन्होंने कहा ‘मैंने चंद रोज पहले रक्तदान किया है लेकिन मैं अपने मित्र गौरव अग्रवाल को लेकर अस्पताल आ रहा हूं।’ फिर मैंने लोकेश परिहार को कॉल किया। वो रक्तदान करता रहता है इसलिए पहले उससे पूछा, ‘रक्तदान कब किया था?’ वो बोला, ‘भैया आप आदेश करो, आज फिर कर दूंगा।’ मैंने उसे अस्पताल बुला लिया। यहां गौरव व लोकेश ने रक्तदान कर खुशी व्यक्त की। लोकेश ने आज आठवीं बार रक्तदान किया था। अस्पताल में पता लगा कि लोकेश ने सार्थक पहल करते हुए बतौर एडमिन ‘ब्यावर ब्लड डोनेट ग्रुप’ बना रखा है। इसमें सभी ग्रुप के रक्तदाता शामिल हैं जो जरूरत पडऩे पर तत्काल रक्त उपलब्ध करवा देते हैं।
इतना सब लिखने के पीछे मेरा मकसद यह बताना है कि हमारे द्वारा शिविरों में सैंकड़ों यूनिट रक्तदान किया जाता है। इसके बावजूद कई बार जरूरत के वक्त गंभीर मरीज को वांछित रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता। खून के अभाव में मरीज को जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करना पड़ता है। शिविर आयोजक ध्यान दें कि रक्तदान शिविर आयोजित कर रिकॉर्ड बनाने के लिए रक्त न बटोरें। प्रयास करें कि सभी ग्रुप का कुछ यूनिट रक्त एकत्रित करें, ताकि अस्पताल में ब्लड बैंक की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके। अस्पताल प्रबंधन व प्रशासन भी इस ओर ध्यान दे कि जितना रक्त वांछित हो, शिविर आयोजकों को उतना ही रक्त एकत्रित करने की इजाजत दी जाए। बीते कुछ समय से हम सभी देख रहे हैं कि शिविर आयोजक 15 अगस्त और 26 जनवरी पर महज इसलिए सम्मानित होते हैं कि उन्होंने रिकॉर्ड रक्त एकत्रित किया था। मेरी नजर में ऐसे आयोजकों को सम्मानित करना उचित नहीं है। शिविर में एक-एक यूनिट रक्त किसी न किसी आम-ओ-खास द्वारा दिया जाता है, फिर किसी एक व्यक्ति या संस्था का सम्मानित होना कहां उचित है?
रमेशचंद्र व्यास, अर्चना लोहिया, जसपाल हुड़ा, हेमेंद्र सोनी, लोकेश परिहार…ऐसे कई रक्तदाता हैं जो रक्तदान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं और इन्होंने कई बार रक्तदान किया है। यह तमाम रक्तदाता जिंदगी बचाने के लिए जागरूक रहते हैं। अगर आप भी वास्तव में अपने बेशकीमती रक्त से किसी का जीवन बचाना चाहते हैं तो इमरजेंसी के वक्त जरूरतमंद को रक्त अवश्य दें। चाहे शिविर में कभी रक्तदान करें, या न करें। याद रखें समय पर दिया गया सहयोग ही जीवन बचाने में सार्थक होगा। -सुमित सारस्वत ‘SP’, ब्यावर

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