साप्ताहिक गीत संगीत, कविताओं, चुटकुलों की मेहफिल में शनिवार की दोपहर गांधी भवन स्थित प्रेस क्लब में वरिष्ठ सदस्य बख्शीश सिंहजी की कविताओं ने श्रोताओं के दिल को छू लिया। एक नए सदस्य प्रदीप गुप्ता ने भी अपने सधे हुए गीतों से माहौल को ऊंचाइयां दी। बख्शीशजी ने -एक गुलिस्तां में चोरी हो गई, वो दौड़ते दौड़ते चलना भूल गया, ना मैं पूरा ईमानदार हूं ना पूरा बेईमान जैसी अपनी बेहतरीन रचनाएं सुनाई। प्रताप सिंह सनकत ने आज एक से बढ़कर एक नगमे सुनाए। किशोर कुमार का-दिल क्या करे जब किसी को किसी से प्यार हो जाए, मोहम्मद रफी के बेहतरीन नगमे-आज की रात मेरे दिल की सलामी ले, आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे, हुई शाम उनका खयाल आ गया, कोई सागर दिल को बहलाता नही सुनाए।
डॉ. रमेश अग्रवाल ने एक बहुत पुराना नगमा सुनाया। वे पूरी तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने-सलामे हसरत कुबूल कर लो, मेरी मुहब्बत कुबूल कर लो सुनाकर दिल के तार हिला दिए। वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा ने भी कई बेहतरीन नगमे सुनाए। उन्होंने माेहम्मद रफी का-अभी ना जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं, छू लेने दो नाजुक होठों को कुछ और नहीं है जाम है ये, प्यार की आग में तन बदन जल गया जैसे बेहतरीन गीत गुनगुनाए। राजकुमार पारीक आज भी हमेशा की तरह मूड में थे। उन्होंने-चम चम के चूंदड़ी बिणजारा रे,थांने काजलियो बणाल्यूं, म्हारी घूमर छै नखरालीये मां जैसे बेहतरीन राजस्थानी नगमे सुनाए। देवदास दीवाना ने आज शम्मी कपूर ट्रेड मार्क वाले गीतों की बजाय गंभीर गीत सुनाए। उन्होंने मोहम्मद रफी का-अहसान तेरा होगा मुझपर दिल चाहता है जो कहने दो, मुकेश का सदाबहार गीत-डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा सुनाए।
फरहाद सागर ने भी एक बढ़कर एक गीत सुनाए। उन्होंने किशोर कुमार का शानदार नगमा-ये दिल ना होता बेचारा, मुकेश का गीत-होठों पे सच्चाई रहती है, मोहम्मद रफी का गीता-अपनी आंखों में बसाकर और महेंद्र कपूर का गीत-किसी पत्थर की मूरत से सुनाए।
बेहतरीन आवाज के मालिक गुरजेंद्र सिंह विर्दी ने भी एक से एक गीत सुनाए। उन्होंने किशोर कुमार का प्रसिद्ध गीत-ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना, तुम भी चलो हम भी चलें, मोहम्मद रफी के नगमे-चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम, खोया खोया चांद खुला आसामां गीत सुनाए। राजेंद्र गांधी ने किशोर कुमार का सुपरहिट गीत-मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू सुनाया। विजय कुमार हंसराजानी ने किशोर कुमार का बेहतरीन नगमा-दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा अमानुष बनाके छोड़ा सुनाया। मोहम्मद सलीम ने किशोर कुमार का बेहतरीन गीत-ये जीवन, इस जीवन का यही है रंगरूप सुनाया। वरिष्ठ सदस्य पीके शर्मा ने कविता सुनाई-कभी पत्थर सी जिंदगी सुनाई। आनंद शर्मा अज्ञात ने भी अपनी कविताएं प्रस्तुत की।
प्रताप सिंह सनकत
