★ रोडवेज जीएम् , कलेक्टर , विधायक और मंत्री के आदेश भी नहीं मानते नागौर – बीकानेर जाने वाली बसो के ड्राइवर ।
★ पिछले कई सालो से चली आ रही मनमानी आज भी जारी , बसो में नहीं मिल रही पुष्कर आने वाले मुसाफिरों को जगह ।
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पुष्कर जाने वाले मुसाफिरों और श्रद्धालु तीर्थ यात्रियों से सौतेला व्यवहार करने पर आमादा है । इन बसो में अगर कोई मुसाफिर बाकायदा टिकिट खरीदकर पुष्कर तक जाने का सफ़र करना चाहे तो भी नहीं कर सकता । यह लोग बस में चढ़ने से पूर्व ही मुसाफिर को अपना तुगलकी फरमान सूना देते है की पुष्कर जाने वाले लोग इन बसो में ना बैठे क्यों की यह बसे वहां नहीं रुकेगी ।
आपकी जानकारी के लिए बताना जरूरी है की दिन के समय में तो जैसे तैसे मुसाफिर अन्य बसो में सफ़र करके पुष्कर पहुँच जाते है लेकिन रात के आठ , नो बजे बाद जब अजमेर पुष्कर के बीच चलने वाली बसे बंद हो जाती है तब मुसाफिरों के सामने बड़ी भारी समस्या खड़ी हो जाती है । पुष्कर जाने वाले स्थानीय नागरिक , श्रद्धालु तीर्थ यात्री और अन्य मुसाफिर इन अड़ियल ड्राइवरों और कंडक्टरों के सामने गिड़गिड़ाते है , हाथ जोड़कर मिन्नतें करते है लेकिन इसके बावजूद उन्हें बस में सफ़र करने की इजाजत नहीं मिलती ।
ऐसा नहीं है की पुष्कर जाने वाले मुसाफिरों को बिठाने पर राज्य सरकार या जिला प्रशासन ने कोई पाबंदी लगा रखी है । यह मनमानी और राठौड़ी स्वयं ड्राइवरों ने अपने स्तर पर शुरू की थी जो आज भी बदस्तूर जारी है ।
हर रोज हजारो लोग इस समस्या से रूबरू होते है और पुष्कर जाने के लिए कई कई घंटे इन्तजार करके मन मसोजते रहते है । लेकिन इस समस्या के प्रति कोई भी गंभीर नजर नहीं आता । कहने को पुष्कर तीर्थ अंतरराष्ट्रीय स्तर का केंद्र है । हमारी राजस्थान और केंद्र की सरकार इसे विशेष तवज्जो देकर कई योजनाएं बना रही है । लेकिन शर्म आती है यह जानकर की लोगो को मूलभूत सुविधाएँ दिलाने के मामले में कोई भी गंभीर नहीं है ।
ऐसा नहीं है की इस मामले की जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियो से लेकर आला प्रशासन को नहीं है । पुष्कर विकास के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर हर महीने आयोजित होने वाली बैठक में हर बार जिला कलेक्टर आरुषि मालिक से लेकर संसदीय सचिव सुरेश रावत और राजस्थान रोडवेज के आला अधिकारियो को इस बात से अवगत करवाया जा चुका है । यहाँ तक की अभी हाल ही में पुष्कर आये यातायात मंत्री युनुस खान के सामने भी यह मुद्दा उठाया गया था । जिस पर कार्यवाही करने का उन्होंने भरोसा भी दिलाया । लेकिन नतीजा आज भी ढाक के तीन पात ही है ।
सवाल यह है कि आखिर क्यों इतने बड़े बड़े रसूखदार नेता और आला अधिकारी इस मामले में नाकाम साबित हो रहे है । क्या नियमो की धज्जियाँ उड़ाने वाले चंद ड्राइवर इतने ताकतवर है की उन पर जिला कलेक्टर सहित हमारे विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि लगाम लगाने में असहाय हो गए है । आखिर कब तक निर्दोष जनता पर यह जुल्म होता रहेगा और सभी सक्षम लोग आँखों पर पट्टी बांधकर सब कुछ चुपचाप देखते रहेंगे ।
राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन
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