चारों और पहाड़ों से घिरा, बीच में एक मन मोहक झील और झील के चारों और गंगा जमुनी तहजीब के चलते हर धर्म व जाती के लोग जहाँ रहते हैं वो शहर है अजमेर. जिसकी पहचान बारादरी के अलावा ख्वाजा साब की दरगाह, ब्रह्मा मंदिर पुष्कर, मेयो कॉलेज, गवर्नमेंट कॉलेज, सेंट अन्स्लम, सोफिया, कान्वेंट स्कूल आदि कई अन्य रूपों में भी होती है.
बारादरी का सुबह का नज़ारा ऐसा होता है जैसे पृथ्वी पर स्वर्ग उतर आया हो. वहाँ की सतरंगी छटा मन मोह लेती है.
लेकिन पुरातत्व विभाग, नगर निगम व अन्य संस्थाओं की बेरुखी के चलते यह खूबसूरत जगह एक कचरा दान में परिवर्तित होती दीख रही है. आज सुबह कई सीनियर सितिजन के अलग अलग समूहों ने मुझे ने दबी ज़बान में अपना दुह्ख प्रकट करते हुए कई दिनों से कचरा न उठाये जाने के कारण जगह जगह इकठ्ठे हो रखे गन्दगी के ढेर दिखाए. मुह पर मास्क लगा कर इनके फोटो भी लिए.
अजमेर के मेयर ने एक बार सभा में एक एप्प का जिक्र किया और कहा की इस पर फोटो क्लीक करो और हमें भेजो, तुरंत सफाई हो जाएगी. लेकिन विडंबना ये की यह एप्प काम ही नहीं करता.
वहाँ अन्दर कोई ऐसा कार्यालय या कर्मचारी भी नहीं जिसे सफाई के बारे में शिकायत कर सकें.
निराशा नहीं, विश्वास है: इस बेकद्री से मिलेगी निज़ाद
जहां एक और स्मार्ट सिटी की अफवाहें, दूजा स्वच्छ भारत अभियान, तीजा अजमेर में दुनिया भर की समाज सेवी संस्थाएं, उच्चतम न्यायालय के झीलों के संरंक्षण के आदेश और पांच पांच मंत्रियों के होते यदि अजमेर की शान हो रही है कचरा दान तो अजमेर वासियों समझ लो की शहर की किस्मत ही खराब है. अब इस फूटी किस्मत का सितारा कब चमकेगा इसका इंतज़ार रहेगा.
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in
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