आपको बता दें कि एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव 2013 में कांग्रेस सरकार के दौरान तैयार हुआ था। एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव के अनुसार यह स्टेशन रोड पर मार्टिंडल ब्रिज से लेकर क्लॉक टावर थाना, गांधी भवन, कचहरी रोड, इंडिया मोटर्स चौराहा होते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के पुराने दफ्तर के सामने तक जाना था। ऐसे में गांधी भवन से एलिवेटेड रोड दो हिस्सों में बंट जाता। इसका दूसरा हिस्सा जीपीओ, नगर निगम के सामने से होते हुए आगरा गेट तक जाता। तब एक कंसलटेंट से डीपीआर भी तैयार करवाई गई, जिस पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए थे। इस प्रस्तावित रोड पर 200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। यहां यह भी समझना होगा कि तब की डीपीआर में 2013 की बीएसआर के आधार पर लागत तय की गई थी, जिसके तहत करीब 200 करोड़ रुपए लागत आ रही थी। यदि वर्ष 2016 की बीएसआर के मुताबिक यह लागत आंकी जाए तो करीब दोगुना हो जाती है। अर्थात करीब 400 करोड़ रुपए चाहिए। बहरहाल भाजपा सरकार के दौरान इस डीपीआर पर धूल पड़ी रही। अब जा कर खुलासा हुआ है कि सरकार ने इतनी बड़ी राशि देने से इंकार कर दिया है। उधर अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा कह रहे हैं कि स्टेशन रोड पर एलिवेटेड रोड की फिजिबिलिटी भी नहीं है। दुकानदारों का भी भारी विरोध था। इस रोड पर पर्याप्त स्थान भी नहीं है। एडीए किसी एक ही प्रोजेक्ट पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने की स्थिति में भी नहीं है। यानि कि साफ तौर पर मान लिया जाए कि एलिवेटेड रोड का सपना चकनाचूर हो गया है।
स्मार्ट सिटी के मामले में भद पिटने के बाद एक बार फिर यहां के मंत्रियों व भाजपा नेताओं की छीछालेदर होने जा रही है।
तेजवानी गिरधर
7742067000
8094767000

One more black spot for BJP leaders.all r failed.